मदर मिल्क बैंक में 3 माह तक सुरक्षित रहेगा दूध
मदर मिल्क से बच्चे की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है क्योंकि इस दूध में
इम्यूनोग्लोबिन की मात्रा अधिक होती है
प्री मैच्योर डिलीवरी होने, नवजात की मृत्यु हो जाने या जन्मजात किसी बीमारी की वजह से जब बच्चा मां की फीड नहीं ले पाता तो इस दूध का मिल्क बैंक में संचय कर लिया जाता है। इस बैंक में दूध को माइनस 20 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर तीन माह तक सुरक्षित रखा जा सकता है। फिलहाल 25 से 30 प्रतिशत बच्चे काफी कमजोर होते हैं और ऎसे में मां का दूध न मिलने पर उनकी स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। उन परिस्थितियों में मदर मिल्क उनके लिए उपयोगी साबित होता है।
इसका लाभ क्या है?
इसके मुख्यत: तीन फायदे हैं। मदर मिल्क से बच्चे की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है क्योंकि इस दूध में इम्यूनोग्लोबिन की मात्रा अधिक होती है। यह आसानी से पच जाता है जिससे बच्चे को कब्ज और डायरिया का खतरा कम रहता है। इससे नवजात को शारीरिक व मानसिक विकास में मदद मिलती है।
मिल्क बैंक में कौन सहयोग कर सकती हैं?
कोई भी महिला जो इस संबंध में सक्षम हो और संक्रामक रोग से पीडित न हो, वह इस बैंक के लिए स्वैच्छिक रूप से सहयोग कर सकती है। इसके लिए बैंक महिला की जांच और कुछ जरूरी सवाल पूछकर इस प्रक्रिया को पूरा करता है।
इससे भविष्य में किस तरह की मदद मिलेगी?
इस प्रयोग से दीर्घकालिक और अल्पकालिक दो तरह से लाभ होगा। अल्पकाल में इससे ये फायदा होगा कि बच्चे पर कोई भी बीमारी फौरन हमला नहीं कर पाएगी और वह स्वस्थ रहेगा। दीर्घकाल में इससे बच्चों को दिल संबंधी रोग, मोटापा और ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं रहेगी। साथ ही उनका भावनात्मक व मानसिक स्तर भी मजबूत होगा।
डॉ. अशोक गुप्ता
अधीक्षक एवं वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ,
जे.के. लोन अस्पताल, जयपुर
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