दरअसल, गाजियाबाद के लोनी थाना क्षेत्र निवासी गुलशन का निकाह 2010 में महराज उर्फ सोनू निवासी बागपत मोहल्ला मुगलपुरा के साथ हुई थी। आठ जून 2012 में ससुरालियों ने गुलशन को जला दिया था। इसके बाद दिल्ली के जीटीबी हॉस्पिटल में उपचार के दौरान गुलशन की मौत हो गई थी। पिता फतेह खां ने कोतवाली में तहरीर देते हुए बताया था कि बेटी गुलशन से ससुराल वाले बाइक और 50 हजार रुपये की मांग कर रहे थे। इस पर उन्होंने दो बार में 50 हजार रुपये भी दे दिए थे, लेकिन इसके बावजूद ससुराल वालों ने गुलशन के ऊपर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा दी। इस मामले में आरोपी पति महराज उर्फ सोनू, सास इसरत, ससुर इकबाल, ननद यासमीन और जेठ मेहताब के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ था।
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर किया था। आरोपी पति को अदालत से जमानत मिल गई थी। वहीं अन्य सभी आरोपी जेल में हैं। डीजीसी सुनील पंवार व एडीजीसी अनुज ढाका ने बताया कि यह केस जिला न्यायाधीश राममनोहर नारायण मिश्रा की अदालत में चल रहा था। इस मामले में वादी समेत 13 गवाहों बयान हुए। अदालत ने पर्याप्त साक्ष्य के आधार पर सास इसरत, ससुर इकबाल, जेठ मेहताब व ननद यासमीन को उम्रकैद की सजा सुनाई तथा 9 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। आरोपियों को अर्थदंड नहीं देने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
मायकेवालों ने कर लिया था केस में समझौता डीजीसी सुनील पंवार ने बताया कि गुलशन के मायकेवालों ने केस में समझौता कर लिया था। वादी समेत कई गवाह पक्षद्रोह हो गए थे, लेकिन गुलशन की मौत होने से पहले हॉस्पिटल में उसके मजिस्ट्रेट ने बयान दर्ज किए थे, जिसमें गुलशन ने अपने जेठ पर कैरोसिन उड़ेलकर आग लगाने तथा ननद व सास द्वारा हाथ-पैर पकड़ने तथा ससुर के पास खड़ा होना बताया था। अदालत ने गुलशन के बयान और पुलिस की विवेचना को अहम मानते हुए सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।