दरअसल, दिल्ली से सहारनपुर जनपद तक 6 जिलों के 148 गांव पिछले काफी समय से जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। कारण, हाल ही में एक रिपोर्ट से ये खुलासा हुआ कि हिंडन, कृष्णा और काली नदियों के किनारे बसे इन गांवों में ग्रामीण कैंसर जैसी घातक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। अकेले बागपत जिले की बात करें तो बागपत और मेरठ जनपदों में हिंडन और कृष्णा नदियों के किनारे बसे 41 गांवों में लोग घातक बीमारियों से मौत और जिंदगी से जूझ रहे हैं। अब तक सैकड़ों लोगों की बीमारियों के चलते मौत भी हो चुकी है।
आलम यह है कि दहशत में लोग अपने गांवों में प्यासे ही रहने को मजबूर हैं। जहरीला हो चुका नदियों का पानी अब गांव के नलकूपों में उतर आया है। जिसके चलते पर्यावरण समिति के अध्यक्ष डॉ चन्द्रवीर सिंह 2012-13 से नदियों को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए प्रयास कर रहे हैं। जिसके चलते एनजीटी ने प्रदूषित हो चुकी नदियों से लोगों को मौत के मुंह से बचाने के लिए सभी 6 जनपदों के अधिकारियों को नलकूपों को उखड़वाने और गांव में स्वच्छ पीने के पानी की व्यवस्था करने के सख्त आदेश दिए थे। लेकिन गांवों में अभी तक भी कोई व्यवस्था नहीं की गई।
जिसके चलते बागपत जिले के दाहा गांव में एक महापंचायत बुलाई गई। जिसमे बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, गाजियाबाद और मेरठ जिलों के करीब 100 गांवों के लोग शामिल हुए। इस दौरान नदियों को बचाने के लिए लोगों ने अपनी-अपनी राय दी है। साथ ही सभी गांव के लोगों अपने-अपने गांव से नलकूपों का पानी लेकर पहुंचे। जिसकी लैब में जांच कराई गई। इस दौरान ग्रामीणों ने जिले के अधिकारियों पर मामले में लापरवाही बरतने और कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करने का भी आरोप लगाया।