यूपी से में कम रह सकती है मंत्रियों की संख्या
यूपी से मोदी-2.0 में मोदी और राजनाथ सिंह सहित 13 सदस्य थे। माना जा रहा है कि पहले के मुकाबले इस बार यूपी से मंत्रियों की संख्या कुछ कम रह सकती है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी अब 2027 में होने हैं इसलिए फिलहाल कोई जल्दबाजी भी नहीं है।दलित चेहरों को मिल सकती है तरजीह जहां तक नई टीम का सवाल है तो प्रदेश से क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरण साधने के साथ ही नये और पुराने चेहरों में संतुलन बिठाने की चुनौती पार्टी नेतृत्व के समक्ष होगी।
मंत्रिमंडल में ये पुराने चेहरे हो सकते हैं शामिल
पुराने चेहरों की बात करें तो राजनाथ सिंह, अनुप्रिया पटेल और रालोद मुखिया जयंत चौधरी का मंत्रिमंडल में आना लगभग तय है। संविधान बदलने के नाम पर जिस तरह विपक्ष ने भाजपा को घेरने का प्रयास किया है, उसमें कम से कम दो दलित चेहरे टीम में शामिल किए जा सकते हैं। इसमें पार्टी एसपी सिंह बघेल को रिपीट कर सकती है। जबकि पश्चिमी यूपी में आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण की जीत से बन रहे नये समीकरणों को देखते हुए जाटव समाज से भी एक मंत्री बनाए जाने की संभावना है।
ब्राह्मण कोटे से जितिन प्रसाद या दिनेश शर्मा संभव
डा. महेंद्रनाथ पांडेय के हारने के बाद ब्राह्मण चेहरे के रूप में जितिन प्रसाद, डा. दिनेश शर्मा, डा. महेश शर्मा और लक्ष्मीकांत वाजपेयी में से किसी एक को शामिल किया जा सकता है। संजीव बालियान के चुनाव हारने के बाद पश्चिमी यूपी से राजकुमार चाहर या गुर्जर कोटे से राष्ट्रीय मंत्री व राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर का भाग्य चमक सकता है। वहीं कुर्मी चेहरे के रूप में पंकज चौधरी की वापसी या नये चेहरे के रूप में आरपीएन सिंह की एंट्री होने की संभावना है। लोध कोटे से बीएल वर्मा की वापसी या साक्षी महाराज का नाम संभावित है।