scriptMother’s Day Special-घर में गूंजी किलकारी तो परिवार में छाई खुशियां | -When the child's laughter echoed in the house, happiness prevailed in the family | Patrika News
बालाघाट

Mother’s Day Special-घर में गूंजी किलकारी तो परिवार में छाई खुशियां

घर में गूंजी किलकारी तो मां ही नहीं बल्कि पूरा परिवार खुशियों से झूम उठा। मां बनने का सपना हर किसी महिला का होता है। मां बनने के बाद उन्हें मातृत्व का एहसास होने लगता है। नन्हे शिशु के प्रति मां के साथ-साथ सभी का प्रेम, दुलार देखकर हर गम भूल जाते हैं। बालाघाट. घर […]

बालाघाटMay 12, 2024 / 09:41 pm

Bhaneshwar sakure

मदर्स-डे विशेष

मां ने सुनाए अपने अनुभव

घर में गूंजी किलकारी तो मां ही नहीं बल्कि पूरा परिवार खुशियों से झूम उठा। मां बनने का सपना हर किसी महिला का होता है। मां बनने के बाद उन्हें मातृत्व का एहसास होने लगता है। नन्हे शिशु के प्रति मां के साथ-साथ सभी का प्रेम, दुलार देखकर हर गम भूल जाते हैं।
बालाघाट. घर में गूंजी किलकारी तो मां ही नहीं बल्कि पूरा परिवार खुशियों से झूम उठा। मां बनने का सपना हर किसी महिला का होता है। मां बनने के बाद उन्हें मातृत्व का एहसास होने लगता है। नन्हे शिशु के प्रति मां के साथ-साथ सभी का प्रेम, दुलार देखकर हर गम भूल जाते हैं। मदर्स-डे पर पत्रिका ने भी पहली बार मां बनने वाली महिलाओं से उनके अनुभव जाने।

मां बनते ही मिली सबसे बड़ी खुशी-शिल्पा नामदेव

विपरित परिस्थिति में मां बनकर मुझे जो खुशी मिली है, उसे मै शब्दों में बयां नहीं कर सकती। परिवार में नए शिशु के आगमन से जहां उनका अकेला पन दूर हुआ। वहीं सारे गम कुछ पल के लिए भी खत्म हो जाते हैं। बच्चे के साथ खेलते-खेलते, दुलार करते-करते दुख, दर्द और तकलीफें सभी कम लगने लगते हैं। यह कहना है नगर के वार्ड क्रमांक 1 बूढ़ी निवासी शिल्पा नामदेव का। शिल्पा नामदेव बताती है कि उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ है। वह स्वयं 40 प्रतिशत दृष्टिहीन है। जबकि उनके पति अमन नामदेव 100 प्रतिशत दृष्टिहीन है। दोनों दृष्टिहीन होने के चलते उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। परिजनों की समझाइश के बाद उन्होंने एक बेबी प्लान किया। इसके लिए काफी विचार-विमर्श किया। इसके बाद उन्होंने एक बालक को जन्म दिया। माता-पिता के लाड-प्यार में अब बालक औसम नामदेव तीन वर्ष का हो चुका है। शिल्पा का कहना है कि अब उसके आगे की परवरिश को लेकर काफी चिंता हो रही है। खासतौर पर बच्चे की शिक्षा के लिए चिंता बनी रहती है। उनके पास आवक के साधन नहीं है। परिवार का गुजर-बसर काफी मुश्किलों से हो रहा है।

मां की खुशी शब्दों में नहीं की जा सकती बयां-श्रद्धा असाटी

मां बनने की खुशी को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। जीवन में एक नए मेहमान के आने से जो खुशी मिलती है, जो सुखद एहसास होता है, वह किसी और चीज में नहीं मिलता है। भले ही इसके लिए काफी संघर्ष करना पड़े, लेकिन मां बनते ही वे संघर्ष छू मंतर हो जाते हैं। यह कहना है डॉ श्रद्धा असाटी का। डॉ. श्रद्धा असाटी ने तीन माह पूर्व ही एक बच्चे को जन्म दिया है। नगर के गुजरी बाजार निवासी डॉ. श्रद्धा असाटी का कहना है कि वह पेशे से दंत चिकित्सक है। उनके पति डॉ. अंकित असाटी भी आयुष चिकित्सक है। परिवार में नए मेहमान का आगमन सभी को खुशी देता है। नए मेहमान के लाड, प्यार, दुलार में सभी गम, दुख, परेशानियां कम हो जाती है। सबसे बड़ी बात तो शिशु के होने से मां का अकेलापन दूर हो जाता है। बच्चे जब तक बड़े नहीं होते तब तक घर में खुशियां ही खुशियां रहती है।

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