मंगलवार से बच्चों को मिल सकता है भोजन
जिला शिक्षा विभाग के मुताबिक जिले से लगभग 3 हजार रसोइया हड़ताल पर थे। बच्चे मध्याह्न भोजन से वंचित रहे। अब मंगलवार से बच्चों के लिए भोजन बन सकता है। स्कूलों में बुझे चूल्हे फिर से जल सकते हैं।
प्रदेश पदाधिकारियों के निर्देश पर तैयार होगी आगे की रणनीति
संघ के जिला अध्यक्ष नुकेश कुमार ने बताया कि अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कई बार किया। यह आंदोलन अनिश्चितकालीन रहा। हालांकि अभी आगे की भी रणनीति तैयार की जाएगी। अभी जिला व प्रदेश स्तर पर बैठक भी होगी।
इतने कम मानदेय में कैसे चलेगा काम
संघ के सदस्यों व महिलाओं ने कहा कि एक दिन की रोजी लगभग 50 रुपए पड़ रही है। कहीं भी इतनी कम राशि नहीं है। मध्याह्न भोजन बनाने का काम सिर्फ एक घंटे का नहीं है। सुबह 10 से दोपहर तीन बज जाते हैं। चूल्हा जलाने से लेकर खाना बनाना, बच्चों का बर्तन साफ करना, परोसना व साफ-सफाई करना पड़ता है। फिर भी सरकार को रसोइयों का काम कम लगता है।