मवेशियों को खिलाई गई गेहूं आटे की लोंदी और जड़ी-बूटियों की दवाई
वहीं इस अवसर पर किसानों ने आधी रात को चरवाहों (राउत) द्वारा जड़ी-बूटियों से बनाई गई दवाई को अपने-अपने मवेशियों को खिलाने के साथ गेहूं के आटे से बने लोंदी में नकम मिलाकर खिलाया। मान्यता है कि इसके सेवन से मवेशी बीमार नहीं पड़ते हैं।
घर के मुख्य द्वार व कृषि औजारों पर लगाया नीम की टहनी
इसके अलावा चरवाहा (राउत) ने हरेली पर सुबह-सुबह लोगों के घर जाकर नीम की टहनी को मुख्य द्वार व कृषि औजारों पर लगाया। जानकारों के मुताबिक, घरो के आगे नीम की टहनी लगाने से घर का वातावरण स्वच्छ रहता है, जिससे घर के सदस्य बीमार नहीं पड़ते हैं।
घर-घर बनाए गए पकवान
हरेली पर घर-घर पकवान बनाया जाता है। घरों में पारंपरिक पूड़ी, गुलाब जामुन, पकौड़े, बड़ा आदि बनाए गए। कृषि औजारों की पूजा करने के बाद ही लोग इन व्यंजनों का सेवन किया, साथ ही एक-दूसरे के घर जाकर हरेली की बधाई देने के साथ घर में बने पकवानों का स्वाद लिया।
बच्चों ने लिया गेड़ी चलाने का आनंद
हरेली पर कई गांवों में खेल का भी आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं ने भी बढ़-चढ़ हिस्सा लिया। हरेली पर गेड़ी चलाने की परंपरा है, जिसका पालन करते हुए गांवों में बच्चे गेड़ी पर चढ़कर गांव की कीचड़ से भरी गलियों में दौड़ते नजर आए।