समिति के सदस्य डॉ. सी. एन. मंजुनाथ ने बताया कि समिति प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग को संबंधित प्रस्ताव भेजेगी। अंतिम निर्णय शिक्षा विभाग लेगा। समिति ने अगले वर्ष गर्मियों की छुट्टी में कटौती के प्रस्ताव का निर्णय भी लिया है। इससे पढ़ाई के नकुसान की भरपाई हो सकेगी।
इस वर्ष एसएसएलसी बोर्ड परीक्षा स्थगित करनी पड़ी थी। हालांकि, कर्नाटक माध्यमिक शिक्षा परीक्षा बोर्ड (केएसइइबी) और प्री-यूनिवर्सिटी शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार मार्च के बाद से स्कूल और पीयू कॉलेज बंद हैं। निकट भविष्य में कक्षाएं शुरू होने की संभावनाएं कम हैं। ऐसे में फिलहाल परीक्षा के आयोजन को लेकर कुछ भी कहना संभव नहीं है।
शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार विभाग जनवरी से चरणबद्ध तरीके से 10वीं से 12वीं तक की कक्षाएं शुरू करने के पक्ष में है बशर्ते कोरोना की दूसरी लहर नहीं आए। दिसंबर के अंत में स्थिति की समीक्षा होगी।
इस बीच, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस. सुरेश कुमार ने शिक्षकों और स्नातकों के निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले विधान परिषद के कई सदस्यों के साथ बैठक की। सदस्यों ने राज्य सरकार से स्कूलों को तुरंत चरणबद्ध तरीके से फिर से खोलने का आग्रह किया है।
बाल विवाह और बाल श्रम सहित कई सामाजिक समस्याएं
सदस्यों की आम राय रही कि स्कूल बंद रहने के कारण विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी शिक्षा से वंचित हैं। इससे विभिन्न सामाजिक समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। कई बच्चे खेतों में मजदूरी या बोझा उठाने का काम कर रहे हैं। बाल श्रम को बढ़ावा मिला है। यहां तक कि कई बच्चियां बाल विवाह की भेंट चढ़ गई हैं। इससे बेहतर है कि स्कूलों को फिर से खोला जाए। इस पर सुरेश कुमार ने कहा कि प्रदेश कोविड तकनीकी सलाहकार समिति की राय प्राप्त करने के बाद कक्षाएं शुरू करने पर निर्णय लेंगे।