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बैंगलोर

उपलब्धियों का जश्न असंवेदनशीलता का द्योतक : शिवकुमार

कांग्रेस ने सरकार के एक साल के जश्न पर उठाए सवाल

बैंगलोरJul 29, 2020 / 09:46 am

Sanjay Kulkarni

उपलब्धियों का जश्न असंवेदनशीलता का द्योतक : शिवकुमार

उपलब्धियों का जश्न असंवेदनशीलता का द्योतक : शिवकुमार

बेंगलूरु. कांग्रेस ने राज्य सरकार का एक साल पूरा होने के अवसर पर पूरे राज्य में हो रहे कार्यक्रमों के औचित्य पर सवाल खड़े करते हुए इसे सरकार की असंवेदनशीलता करार दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि सरकार ने एक वर्ष में कुछ भी हासिल नहीं किया है। इसके बावजूद सरकार की कथित उपलब्धियों का जश्न मनाया जाना असंवेदनशीलता का द्योतक है।
केंद्र सरकार के परोक्ष निर्देश पर राजस्थान में की जा रही गणतंत्र की हत्या के विरोध में प्रदेश कांग्रेस ने यहां ‘गणतंत्र बचाओ संविधान बचाओÓ अभियान के तहत प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम के बाद डीके शिवकुमार ने कहा कि पूरा राज्य कोरोना वायरस के संक्रमण से चिंतित है। प्रतिदिन हजारों लोग संक्रमित हो रहे हैं। सैकड़ों की मौत हो चुकी है। हजारों लोग बेरोजगार हो गए, किसान और बुनकर परेशान हैं। ऐसी विषम स्थिति में भी राज्य सरकार सभी जिला मुख्यालयों पर जश्न मना रही है।
उन्होंने कहा की इस सरकार का कार्यकाल केवल मंत्रिमंडल का गठन, उपचुनाव का प्रचार, राज्यसभा विधान परिषद के सदस्यों का चयन, पार्टी के विभिन्न गुटों के बीच अंतर्कलह, उसके पश्चात लॉकडाउन के छह माह ऐसे में यह सरकार अभी तक किसी भी विभाग में सक्रिय नहीं है। यह वास्तविकता होने के बावजूद कोरोना महामारी की चिंता छोड़कर विभिन्न प्रशासनिक विभागों की उपलब्धियों का समाचार पत्रों में आठ-आठ पेज विज्ञापन देकर दृश्य माध्यमों में विज्ञापन जारी कर ढोल पीटा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि गत 8 माह से विधवा, वरिष्ठ जन तथा दिव्यांगो के मासिक पेंशन का भुगतान तक नहीं किया जाना इस सरकार के प्रशासनिक विफलता का सबूत है। सार्वजनिक परिवहन निगमों के कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है। उद्योग तथा वाणिज्य क्षेत्रों में मंदी है। सैकड़ों युवा बेरोजगार हुए हैं। ऐसी गंभीर स्थिति में भी राज्य सरकार जश्न मनाने में व्यस्त है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लॉकडाउन के दौरान समाज के सभी वर्गों की सहायता के लिए 1200 करोड़ रुपए वितरित करने का दावा कर रही है। लेकिन इस वितरण का लेखा-जोखा पूछने पर सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। गत वर्ष प्राकृतिक आपदाओं के कारण राज्य में 35 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने की बात कही गई लेकिन केंद्र सरकार से केवल 1600 करोड़ रुपए की सहायता मिली। क्या यह प्रशासनिक विफलता नहीं है?
राज्य सरकार ने हाल में शहर के बाहरी क्षेत्र में बीआईईसी में देश का सबसे बड़ा 11 हजार बैड क्षमता का कोविड केयर सेंटर स्थापित करने का दावा किया गया लेकिन अब अधिकारी वहां केवल 6 हजार बैड उपलब्ध होने की बात कह रहे है क्या ऐसी विसंगतियों पर सवाल उठाना विपक्ष का अधिकार नहीं है?

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