अभी तक मैरिज होम संचालन के नियम-कायदों को लेकर उन्हें चलाने वालों में असमंजस बनी हुई है। नगर निगम भी उप विधियां 2014 का राजपत्र में प्रकाशन करवाकर इनको लागू नहीं करवा सका है। इसके चलते शहर में कई मैरिज होम निगम को बिना शुल्क दिए ही धड़ल्ले से चल रहे हैं।
मैरिज होम संचालन के लिए वर्ष 2010 में गजट अधिसूचना जारी की गई थी। इस सूचना में विवाह स्थल पंजीयन शुल्क 20 हजार रुपए निर्धारित किया गया था जो प्रत्येक मैरिज होम को वार्षिक रूप से नगर निगम को जमा कराना था। इसके अलावा विवाह स्थल उपयोग की अनुमति शुल्क 20 रुपए प्रति वर्गगज निर्धारित की गई थी। वर्ष 2014 में भी उप विधियां बनाई गईं, लेकिन वे गजट में अधिसूचित नहीं होने के कारण प्रभाव में नहीं आ सकीं।
अंदाजे पर नगर निगम
हालात ऐसे हैं कि नगर निगम मैरिज होमों से अंदाज लगाकर राशि वसूल रहा है, जिसका कोई ठोस आधार या शुल्क गणना का प्रभावशाली सूत्र ही नहीं है।
नगर निगम क्षेत्र में कुल 77 मैरिज होम संचालित बताए जाते हैं, लेकिन वास्तविक संख्या इससे भी ज्यादा है। इसमें से भी महज चार दर्जन से निगम ने पिछले वित्तीय वर्ष में राशि वसूली है। ऐसे में मोटी कमाई करने वाले मैरिज होमों से राजस्व वसूली के मामले में निगम फिसड्डी साबित हो चुका है।
उल्लंघन पर कार्रवाई प्रावधान उपविधि 2010 में प्रावधान है कि नियमों के उल्लंघन पर संबंधित विवाह स्थल का अनुमति पत्र निरस्त करके विवाह स्थल सम्पत्ति को अचैट करते हुए अभियोजन स्वीकृति की कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा यदि कोई अवैध विवाह स्थल का संचालन पाया जाता है तो नगर निगम द्वारा उसे अवैध मानकर उसे हटाया जा सकेगा एवं अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी। लेकिन ऐसा भी कुछ कदम निगम आज तक नहीं उठा सका है। यही कारण है कि अन्नपूर्णा मैरिज होम का हादसा घटा और 24 लोगों की जानें गईं।
उपविधियां 2010 की शर्तें
मापदंडों के अनुसार पर्याप्त शौचालय एवं मूत्रालय
अग्निशमन यंत्रों की पर्याप्त व्यवस्था
आवेदित स्थल की कुल व्यक्तियों की समाहित करने की क्षमता
आने व जाने के लिएदो रास्ते
कचरा संग्रह की व्यवस्था
गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था
बिजली व पानी की पर्याप्त व्यवस्था व आपातकालीन लाइट
पार्किंग व्यवस्था