प्रकाश राज इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना पाते हैं या नहीं, यह देखना होगा। परिसीमन के बाद बेंगलूरु उत्तर और बेंगलूरु दक्षिण लोकसभा क्षेत्रों से अलग कर बेंगलूरु मध्य लोकसभा क्षेत्र का गठन वर्ष 2008 में हुआ था। उसके बाद दो लोकसभा चुनावों में भाजपा नेता पीसी मोहन ने ही जीत दर्ज की।
अब उनकी नजर लगातार तीसरी बार यहां से चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाने पर है। पिछली बार पीसी मोहन से लगभग 1 लाख 37 हजार मतों से शिकस्त खाने वाले कांग्रेस उम्मीदवार रिजवान अरशद पर ही पार्टी ने इस बार भी दांव खेला है। गठबंधन उम्मीदवार के तौर पर अरशद के चुनावी मैदान में उतरने से इस बार माना जा रहा है कि वे पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में ज्यादा मजबूत प्रत्याशी के तौर पर मोहन को चुनौती देंगे।
प्रवासी राजस्थानियों की अहम भूमिका
बेंगलूरु मध्य लोकसभा क्षेत्र में काफी संख्या में तमिल मतदाता (लगभग साढ़े पांच लाख) हैं। उनके अलावा लगभग 4.5 लाख मुस्लिम, लगभग 2 लाख क्रिश्चियन हैं। उसके बाद प्रवासी राजस्थानी हैं जो उम्मीदवारों की जीत-हार तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। खासकर चिकपेट और गांंधीनगर विधानसभा क्षेत्र में प्रवासी राजस्थानियों का वोट निर्णायक साबित होता है।
भाजपा-कांग्रेस ही मुख्य प्रतिद्वंद्वी
वर्ष 2009 के चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार एचटी सांग्लियाना को 36 फीसदी (लगभग 3 लाख 5 हजार) मत मिले वहीं भाजपा के पीसी मोहन को 40.16 फीसदी (3 लाख 40 हजार) मत मिले और वे लगभग 35 हजार मतों से चुनाव जीते। वर्ष 2014 में कांग्रेस ने पीसी मोहन के खिलाफ रिजवान अरशद को उतारा।
रिजवान को 39.05 फीसदी (लगभग 4 लाख 19 हजार) मत मिले जबकि मोदी लहर में पीसी मोहन को लगभग 51.85 फीसदी (5 लाख 57 हजार) मत मिले। इंफोसिस के पूर्व वित्तीय परिचालन अधिकारी (सीएफओ) और बोर्ड मेंबर वी.बालाकृष्णन ने भी आम आदमी पार्टी की टिकट पर अपनी किस्मत आजमाई थी लेकिन उन्हें केवल 3.69 फीसदी (39 हजार 869) मत मिले थे।
प्रकाश राज के आने से देश की निगाहें
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद इस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 8 विधानसभा क्षेत्रों में से कांग्रेस ने 5 और भाजपा ने 3 पर जीत दर्ज की। हालांकि, पारंपरिक रूप से यह लोकसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ रहा है लेकिन इस बार प्रकाश राज के आने से इस लोकसभा पर पूरे देश की निगाह है। राजनीतिक विश्लेषकों का तो यह भी कहना है कि प्रकाश का यह फैसला भाजपा के लिए फायदे का सौदा भी हो सकता है। संभव है कि प्रकाश कांग्रेस के पारंपरिक मतों में सेंध लगाए, जिसका फायदा भाजपा को मिले।
क्यों खास बन गया है बेंगलूरु मध्य
भाजपा और मोदी के कटु आलोचक प्रकाश राज के निर्दलीय चुनाव लडऩे से इस सीट पर हैं सभी की निगाहें।
कौन से मुद्दे अहम
रोजगार, व्यापार और विकास के मुद्दे पर बात होगी। पीसी मोहन के पिछले 10 साल की उपलब्धियों पर चर्चा होगी। राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहेंगे। जातिगत समीकरण अहम होगा। पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक का मुद्दा भी जोर-शोर से उछाला जाएगा।
2014 में वोट स्विंग
भाजपा का वोट 40.16 फीसदी से बढक़र 51.85 फीसदी हुआ।
कांग्रेस का वोट 36 फीसदी से बढक़र 39.05 फीसदी हुआ।