बेंगलूरु. बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के सूदखोरी की चपेट में होने की बात अटपटी जरूर लग सकती है, लेकिन यह वास्तविकता है। पिछले पांच सालों में लिए गए कर्ज पर बीबीएमपी ने मूलधन की आधी से अधिक रकम सिर्फ सूद (ब्याज) अदा करने में ही भर दी, लेकिन कर्ज की रकम तकरीबन जस की तस है।
जी हां! सूचना के अधिकार (आरटीआई) तहत मिली जानकारी में खुलासा हुआ है वित्त वर्ष 2011-12 और 2012-13 में लिए गए 1645.85 करोड़ रुपए के ऋण के ब्याज के रूप में बीबीएमपी अब तक 1100 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान कर चुका है और कर्ज की राशि अब भी 1434.39 करोड़ रुपए बनी हुई है।
इतना ही नहीं नगरीय निकाय ने कर्ज के भार तले दबने से बचने के लिए आवासीय एवं शहरी विकास निगम (हुडको) के पास केआर मार्केट, मल्लेश्वरम मार्केट जैसी सार्वजनिक उपयोगिता वाली 11 परिसंपित्तयों को गिरवी रखा। हालांकि इनमें से 3 संपत्तियों को 2016 में गिरवी मुक्त करवाया गया है, लेकिन अब भी 8 संपत्तियां हुडको के पास हैं।
यह भी दिलचस्प है कि जो संपत्तिया गिरवी हैं, उनकी कीम 2872.27 करोड़ रुपए है। आरटीआई के जरिए सेवानिवृत्त विंग कमांडर जीबी अत्रि ने जानकारी मांगी थी, जिसमें ये चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
इस संदर्भ में अत्रि ने कहा कि महानगर पालिका हर वर्ष करोड़ों रुपए ब्याज के रूप में अदा करती है। यह तब है कि जबकि प्रदेश सरकार के साथ मिलकर कर्ज राशि शून्य करने और ब्याज रकम के साथ प्रमुख इमारतों को गिरवीमुक्त करने के प्रयास हो रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि इस स्थिति के लिए 10.15 प्रतिशत की भारी ब्याज दर जिम्मेदार है। यह दर मौजूदा दर से बहुत अधिक है। बीबीएमपी ने 2015-16 में मूलधन के 435.94 करोड़ रुपए चुकाते हुए जॉनसन मार्केट, कैंपेगौड़ा संग्रहालय और मायो हाल की इमारतें हुडको से वापस अपने कब्जे में ली हैं। 2016-17 में 361.99 करोड़ रुपए ब्याज के रूप में चुकाए गए।
बिल भुगतान में परेशानी
बीबीएमपी की कराधान एवं वित्त स्थाई समिति के अध्यक्ष एमके गुणशेखर का कहना है कि हमारा उद्देश्य है कि मूलधन की और रकम का भुगतान कर परिसंपत्तियों को वापस लिया जाए। ब्याज की मार के चलते बीबीएमपी ठेकेदारों सहित अन्य मदों के बिलों का भुगतान नहीं कर पा रहा है। हालांकि पालिका आयुक्त एन मंजूनाथ प्रसाद कहते हैं कि बकाया बिल की रकम 900 करोड़ रुपए से कम हुई है जबकि बीबीएमपी ठेकेदार ऐसोसिएशन के महासचिव टी वेंकटेश ने कहा कि कुछ बिल अक्टूबर 2015 तक के हैं। बकाया भुगतान की रकम 1000 करोड़ रुपए से अधिक है।