प्राप्त जानकारी के अनुसार, दंपती लिंग निर्धारण के लिए एक स्कैनिंग सेंटर गए जबकि लिंग निर्धारण परीक्षण गैरकानूनी है। वहां दंपति को सूचित किया गया कि तीन महीने का भ्रूण एक लडक़ी थी। चूंकि दंपति की पहले से दो बेटियां हैं, इसलिए उन्होंने स्कैनिंग सेंटर के कर्मचारियों से मदद मांगी।
स्कैनिंग सेंटर की नर्सों में से एक ने दंपती को बताया कि मादा भ्रूण को पुरुष में बदला जा सकता है। हालांकि, नर्स ने दंपति से यह भी कहा कि इसके लिए उन्हें 25,000 रुपए का खर्च आएगा। इस पर दंपति सहमत हो गए।
नर्स की दी गई कुछ गोलियाँ लेने के बाद अनिता को दर्द होने लगा। जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जगदीश ने कहा कि महिला द्वारा गोलियां लेने के तुरंत बाद भ्रूण का गर्भपात हो गया। अनिता को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वह नर भ्रूण था। मामला उजागर होने के बाद पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारियों ने स्कैनिंग सेंटर को सील कर दिया है।