उत्तर कन्नड़ जिले में सबसे ज्यादा 37, शिवमोग्गा जिले में 37 और चिकमगलूरु जिले में तीन मामले मिले हैं।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा, हमने सभी एहतियाती कदम उठाए हैं और इसके प्रसार को रोकने के लिए उन जिलों के अधिकारियों के साथ निकट समन्वय में काम कर रहे हैं जहां केएफडी के मामले सामने आए हैं। अभी तक, इस बीमारी के लिए कोई टीकाकरण उपलब्ध नहीं है, इसलिए हमें अतिरिक्त सतर्क रहने की आवश्यकता है। संक्रमण को आगे फैलने से रोकने के लिए उठाए जाने वाले एहतियाती कदमों के बारे में जागरूकता पैदा की जा रही है। पहले दिया गया टीकाकरण अप्रभावी पाया गया। इसलिए, हमने टीकाकरण के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद से संपर्क किया है।
उल्लेखनीय है कि शिवमोग्गा जिले के होसानगर तालुक में एक आठ जनवरी को 18 वर्षीय लड़की की वायरस से मौत हो गई थी। दूसरे मामले में उडुपी के मणिपाल अस्पताल में चिकमगलूरु के श्रृंगेरी तालुक के 79 वर्षीय मरीज की मौत हुई है।
अधिकारी सावधानियों के बारे में घर-घर जाकर जागरूकता कार्यक्रम चला रहे हैं। वन क्षेत्र में और उसके आसपास रहने वाले लोगों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि उन्हें इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा अधिक है।