उधर, परीक्षण के लिए वायुसेना, ब्रह्मोस एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के वैज्ञानिक, इंजीनियर, तकनीशियन, डिजाइनर और पायलटों की टीम पिछले एक सप्ताह से सक्रिय है। परीक्षण से पूर्व सुखोई की अभ्यास उड़ानें पूरी हो चुकी हैं और मौसम ठीक रहने पर कभी भी ब्रह्मोस दागने का परीक्षण पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए बंगाल की खाड़ी में एक अस्थाई लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक 2.4 टन वजनी हवा से जमीन पर मार करने वाले बह्मोस सुपरसोनिक कू्रज मिसाइल को सुखोई से दागने का परीक्षण अगले एक सप्ताह में किया जाएगा। पिछले साल जून महीने में सुखोई 30 एमकेआई की पहली उड़ान ब्रह्मोस के साथ हुई थी। यह उड़ान एचएएल के नासिक डिविजन में सुधार किए गए सुखोई के साथ हुई थी जिसमें देशी लांचर का उपयोग हुआ था। कू्रज मिसाइल के साथ पहला प्रदर्शन उड़ान लगभग 58 मिनट का रहा।
इसके बाद पिछले एक वर्षों तक तकनीकी रूप से सटीकता हासिल करने के लिए कई अन्य परीक्षण हुए और अब यह युद्धक ब्रह्मोस दागने के काबिल हो चुका है। ब्रह्मोस से लैस सुखोई बेहद घातक हथियार बन जाएगा। इससे वायुसेना के युद्धक पायलटों को दुश्मन के इलाके में काफी भीतर तक घुसकर वार करने की जरूरत नहीं रह जाएगी जिससे जोखिम कम हो जाएगा। इसके बावजूद ब्रह्मोस से लैस सुखोई दूर से ही लक्ष्य पर सटीक वार कर दुश्मनों की कमर तोड़ देगा।
जहां सुखोई मैक-2 (ध्वनि की गति से दोगुनी) की रफ्तार से उड़ान भरता है वहीं ब्रह्मोस की गति 2.8 मैक है। यानी, तमाम हवाई सुरक्षा को धता बताते हुए सुखोई पलक झपकते ही दुश्मनों पर कहर बरपा कर लौट आएगा। रक्षा सूत्रों के मुताबिक लगभग 40 सुखोई विमानों को ब्रह्मोस से लैस करने की योजना है।