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तमिलनाडु के मैकेदाटू परियोजना रोकने के चुनावी वादे पर खिंची तलवारें

डीएमके ने अपने चुनाव घोषणापत्र में किया शामिल, डीके शिवकुमार ने कहा: हम बनाने पर प्रतिबद्ध

बैंगलोरMar 22, 2024 / 12:36 am

Sanjay Kumar Kareer

mekedaatu
बेंगलूरु. लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में द्रमुक के मैकेदाटू बांध का निर्माण रोकने के वादे पर उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने सिंचाई मंत्री के रूप में कावेरी नदी पर मैकेदाटू परियोजना को पूरा करने के लिए जिम्मेदारी ली है। उन्होंने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण और अदालतों में कर्नाटक को न्याय मिलने का भरोसा जताया।
तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके, इंडिया ब्लॉक का एक प्रमुख घटक है। उन्होंने बुधवार को जारी अपने घोषणापत्र में मैकेदाटू बांध के निर्माण को रोकने का वादा किया। शिवकुमार ने कहा, उन्हें अपने राज्य में जो करना है, करने दें। मैंने सिंचाई मंत्री के रूप में मैकेदाटू बांध बनाने की जिम्मेदारी ली है। वे हमें रोकने के लिए अपनी लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा कि मामला कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के समक्ष आ रहा है। उन्होंने कहा, हमें न्याय मिलेगा। वे मौजूदा जल मुद्दे से अवगत हैं। उन्हें न्याय देना ही होगा। हमें विश्वास है कि अदालतों में भी हमें न्याय मिलेगा।
भाजपा ने साधा राज्य सरकार पर निशाना

इससे पहले दिन में अपने घोषणापत्र में द्रमुक के वादे का जिक्र करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार पर स्वार्थी गठबंधन राजनीति के लिए राज्य के किसानों और नागरिकों की पीने के पानी की जरूरतों का बलिदान करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, कांग्रेस को वोट देना राज्य के हितों के लिए हानिकारक होगा। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में हमारी कावेरी हमारा अधिकार के साथ मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या और उनकी सरकार पर कटाक्ष किया। विजयेंद्र ने कहा, द्रमुक घोषणापत्र एमके स्टालिन (तमिलनाडु के मुख्यमंत्री) के साथ सिद्धरामय्या सरकार की गोपनीय सहमति को उजागर करता है, जिस कारण गंभीर सूखे के दौरान हमारी जीवन रेखा कावेरी, जो हमारे किसानों के लिए पीने के पानी और सिंचाई का प्राथमिक स्रोत थी, उससे हमें हाथ धोना पड़ा।
विजयेंद्र ने कहा, यह कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) के साथ राज्य के कावेरी जल के उचित हिस्से के लिए लडऩे में सरकार के असुविधाजनक रवैये को स्पष्ट करता है, जिसके परिणामस्वरूप कर्नाटक ने तमिलनाडु को प्रचुर मात्रा में पानी छोड़ा, जो हमारे हिस्से से भी अधिक था।
उन्होंने कहा, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि अगर आई.एन.डी.आई. गठबंधन सत्ता में आता है, तो डीएमके अधिक कावेरी जल के लिए सौदेबाजी करने और मैकेदाटू परियोजना को रोकने के लिए अपनी गठबंधन शक्ति का लाभ उठाएगा। कांग्रेस को वोट देना हमारे राज्य के हितों के लिए हानिकारक होगा। केवल कर्नाटक भाजपा ही ऐसा कर सकती है कि हमारे राज्य को न्याय मिले।
राज्य सरकार शुरू कर चुकी काम

मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने पिछले महीने बजट पेश करते हुए कहा था कि कावेरी नदी घाटी की महत्वाकांक्षी मैकेदाटू बैलेंसिंग बांध और पेयजल परियोजना लागू करने के लिए एक अलग परियोजना प्रभाग और दो उप-मंडल पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। इस परियोजना के तहत जलमग्न होने वाली भूमि की पहचान करने के लिए एक सर्वेक्षण और पेड़ों की गिनती की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई है। सक्षम अधिकारियों से शेष आवश्यक मंजूरी प्राप्त करने के बाद काम जल्दी शुरू करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
मैकेदाटू परियोजना लाने का कारण

मैकेदाटू कर्नाटक द्वारा प्रस्तावित एक बहुउद्देश्यीय (पेयजल और बिजली) परियोजना है, जिसमें रामनगर जिले में कनकपुरा के पास एक संतुलन बांध का निर्माण शामिल है। पड़ोसी राज्य तमिलनाडु इस परियोजना का विरोध कर रहा है और आशंका जता रहा है कि अगर परियोजना आकार लेती है तो उनका राज्य प्रभावित होगा। परियोजना एक बार पूरी होने पर बेंगलूरु और पड़ोसी क्षेत्रों को (4.75 टीएमसी) पीने का पानी मिलना सुनिश्चित होगा। 400 मेगावॉट बिजली भी पैदा होगी। परियोजना की अनुमानित लागत 9,000 करोड़ रुपए (2019 दरें) है।

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