मधु ने कहा कि चुनावी रणनीति तय करने के लिए कम समय होने का असर गठबंधन के लिए नुकसानदेह साबित हुआ लेकिन दोनों दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की मेहनत के कारण भाजपा की जीत काफी अंतर से हुई।
मधु ने कहा कि 2014 में भाजपा के बी एस येड्डियूरप्पा 3.63 लाख मतों से जीते थे लेकिन इस बार राघवेंद्र सिर्फ 52 हजार मतों से जीत पाए। मधु ने कहा कि वे हार के लिए किसी को भी दोषी ठहरा सकते क्योंकि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भी जद-एस के पूरे मन से प्रचार किया था।
अगले लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी के बारे में पूछे जाने पर मधु ने कहा कि दोनों दलों के वरिष्ठ नेता इसके बारे में निर्णय लेंगे।