उधर, नाराज विधायकों की बढ़ती ने कांग्रेस को परेशान कर दिया है। पार्टी ने सोमवार को नाश्ता बैठक बुलाई जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या, उपमुख्यमंत्री डॉ. जी.परमेश्वर, जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडूराव सहित अन्य विधायक एवं मंत्री पहुंचे। कथित तौर पर बैठक में सिद्धरामय्या ने पार्टी विधायकों को अपनी जुबान बंद रखने की सख्त हिदायत दी। बैठक के बाद उन्होंने पत्रकारों से बात करने से इनकार किया और कहा कि परमेश्वर ही बात करेंगे।
बाद में परमेश्वर ने स्वीकार किया कि उनके तीन विधायक मुंंबई में हैं लेकिन किसलिए गए हैं इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। वे निजी यात्रा पर गए हैं अथवा किसी से मिलने वाले हैं इनकी उन्हें जानकारी नहीं। सियासी संकट से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि उनके मुंबई जाने अथवा संपर्क से बाहर होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
इससे पहले जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार ने घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कहा कि ‘हमारे तीन विधायक मुंबई में हैं। हम भाजपा द्वारा खरीद-फरोख्त के प्रयास से अवगत हैं। हमारे विधायकों ने भी स्वीकार किया है कि भाजपा उनसे संपर्क कर रही है।’
हालांकि, मैसूरु में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने अलग बयान दिया और कहा कि कोई भी विधायक संपर्क से बाहर नहीं है। जिन तीन कांग्रेस विधायकों के संपर्क से बाहर होने की बात कही जा रही है उनसे सुबह ही उनकी बात हुई। तीनों उनके लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने सूचित भी किया कि वे मुंबई गए हैं। मुख्यमंत्री ने तमाम अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। उन्हें यह पता है कि भाजपा किनसे संपर्क साधने की कोशिश कर रही है और वे क्या प्रस्ताव दे रहे हैं।
प्रदेश की राजनीति में मचे उथल-पुथल के बीच दिल्ली पहुंचे भाजपा विधायकों को वहीं ठहरने का निर्देश दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक गुरुग्राम में पार्टी ने सभी विधायकों के ठहरने का बंदोबस्त किया है। विधायक यहां दो से तीन दिन तक रुक सकते हैं। इस बीच ‘ऑपरेशन कमल’ के तहत कांग्रेस विधायकों के तोडऩे के आरोपों पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येड्डियूरप्पा ने कहा कि मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी खुद भाजपा विधायकों को तोडऩे के लिए भारी रकम का ऑफर दे रहे हैं। लेकिन, भाजपा यह संभव नहीं होने देगी। भाजपा अपनी ओर से कांग्रेस या जद-एस विधायकों को तोडऩे की कोई कोशिश नहीं कर रही है और वो सरकार गठन के प्रयास में नहीं है।
हालांकि, जटिल राजनीतिक समीकरण को देखते हुए राज्य में सरकार का पतन काफी मुश्किल नजर आता है। राज्य की 224 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस-जद-एस के 117 विधायक (कांग्रेस 8 0, जद-एस 37) हैं। वहीं भाजपा के 104 तथा दो निर्दलीय एवं एक बसपा का विधायक है। निर्दलीय और बसपा विधायक भी गठबंधन के साथ है लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार के बाद वे भी नाराज चल रहे हैं। राज्य में भाजपा की सरकार तभी बन सकती है कि जब कम से कम 17 विधायक इस्तीफा दें और विधानसभा की सदस्य संख्या 207 तक आ जाए। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के अधिक से अधिक 5-6 विधायक ही पाला बदल सकते हैं जबकि अधिकतम नाराज विधायकों की संख्या 10-11 है। चुनाव के सिर्फ 7 महीने बाद कोई भी विधायक इस्तीफा देने को तैयार नहीं नजर आता। अगर भाजपा इतने विधायकों के इस्तीफा दिलवाने में कामयाब भी होती है तो भी उपचुनावों में फिर सभी का जीतना तय नहीं होगा।