वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जंगल में किसी बाघ को इस तरह से पकडऩा गैर कानूनी है। लेकिन गले में कांटेदार तार होने के कारण बाघिन का जीवन खतरे में था। इसलिए विभाग ने उसे जंगल में ही पकडऩे का निर्णय ले जाल बिछाया।
बाघिन ने केरल में वन विभाग के तीन कर्मचारियों को उस समय घायल कर दिया था जब कर्मचारी उसे पकडऩे की कोशिश कर रहे थे।
केरल-कर्नाटक सीमा और इसके आसपास के क्षेत्रों में बाघिन ने आतंक मचा रखा था। करीब सात वर्ष की इस बाघिन ने तीन मवेशियों को भी अपना शिकार बनाया था।
बाघिन को पकडऩे में कर्नाटक वन विभाग की टीम ने कुमकी (प्रशिक्षित ऐशियाई हाथी) हाथियों का सहारा भी लिया। बाघिन की पहचान सुनिश्चित करने के लिए पकड़ी गई इस बाघिन का केरल में देखी गई बाघिन के कैमरा ट्रैप छावियों से मिलान किया गया।
बंडीपुर टाइगर रिजर्व के निदेशक एस. आर. नतेश ने कहा कि बाघिन के घावों का उपचार प्राथमिकता है। मैसूरु के चामुंडी बचाव व पुनर्वास केंद्र में बाघिन को रख उपचार शुरू किया गया है।