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बांसवाड़ा निकाय चुनाव में पिता-पुत्री एक साथ पहुंचे सदन में तो पति-पत्नी को भी बारी-बारी से मिला मौका

Rajasthan Municipal Election 2019, Banswara Nagar Parishad Chunav : रोचक है निकाय चुनाव से जुड़ा इतिहास

बांसवाड़ाNov 09, 2019 / 12:52 pm

Varun Bhatt

बांसवाड़ा निकाय चुनाव में पिता-पुत्री एक साथ पहुंचे सदन में तो पति-पत्नी को भी बारी-बारी से मिला मौका

बांसवाड़ा निकाय चुनाव में पिता-पुत्री एक साथ पहुंचे सदन में तो पति-पत्नी को भी बारी-बारी से मिला मौका

बांसवाड़ा. निकाय चुनाव में नाम वापसी के बाद राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों की मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की दौड़भाग शुरू हो चुकी है और दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल अपना बोर्ड बनाने को लेकर जुट गए हैं। बांसवाड़ा निकाय से जुड़े कई ऐसे रोचक किस्से भी हैं, जो चुनावों में सुर्खियों में बने रहे हैं। बीते छह चुनाव के इतिहास को देखें तो दो बार ऐसा अवसर आया, जब पिता-पुत्री अलग-अलग वार्डों से चुनाव लड़े और दोनों जीते। वहीं पिता-पुत्र और पति और पत्नी अलग अलग चुनाव मेंदो बार साथ-साथकांगे्रस से नाथूलाल हरिजन और उनकी पुत्री देवबाला दो बार साथ-साथ सदन में पहुंचे। 1994 के चुनाव में देवबाला वार्ड छह से जीतकर पार्षद बनी तो उनके पिता नाथूलाल ने वार्ड 13 से जीत दर्ज की। इसके बाद दोनों के लिए ऐसा ही अवसर 2009 में आया, जब देवबाला ने वार्ड आठ से और नाथूलाल ने वार्ड नौ से जीत हासिल की। पति और पत्नी दोनों बने पार्षद1982 के चुनाव में वार्ड 20 से कांगे्रस के शाहबास खां निर्वाचित हुए तो उनकी पत्नी सारिया खान बतौर सहवृत सदस्य सदन में पहुंची। 1994 के चुनाव में भाजपा से प्रीति दोसी पार्षद बनी तो 1999 में उनके पति निर्मल दोसी चुनाव जीते। 1994 में वार्ड 34 से भाजपा के आजाद खान पठान जीते तो 2014 में उनकी पत्नी नाजआरा खान पठान ने वार्ड 42 से जीत हासिल की। 1999 के चुनाव में वार्ड 23 से अनिता गुप्ता ने जीत दर्ज की तो 2004 में उनके पति अशोक गुप्ता ने भी इसी वार्ड से जीत का परचम फहराया। 1999 में ही वार्ड सात से भाजपा के दिलीप यादव जीते तो 2014 में उनकी पत्नी दुर्गा यादव वार्ड दस से जीत का ताज पहना। पिता-पुत्र भी1982 में पार्षद और 1994 में मणिलाल बोहरा अध्यक्ष बने वहीं उनके पुत्र महावीर बोहरा ने 2014 में जीते। वहीं 1999 में हाजी अमीर मोहम्मद मंसूरी वार्ड 32 से कांगे्रस से निर्वाचित हुए तो 2004 में उनके पुत्र आबिद मंसूरी ने वार्ड 30 से भाजपा से जीत दर्ज की। जीजा ने साले को हराया1994 में भाजपा ने वार्ड 18 से बालकिशन सोनी को टिकट दिया। उनके सामने बतौर निर्दलीय उनके साले कमल सोनी चुनाव लड़े। जीत बालकिशन सोनी की हुई। 2009 के चुनाव में वार्ड 15 से भाजपा के कांतिलाल ने अपने परिवार के दामाद कांगे्रस के राजेश पटेल को मात दी थी।

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