प्रियंका के पिता डॉक्टर राजेश चौधरी ने बताया कि वह शुरू से ही पढ़ाई में अग्रणी रही और मेहनत से साइंसटिस्ट तक का सफर पूरा किया। प्रियंका ने वर्ष 2011 में राज्य बोर्ड स्टेट मेरिट में पांचवा स्थान प्राप्त किया था और वर्ष 2013 में 12वीं में भी अच्छे प्रतिशत प्राप्त किए थे और उसी वर्ष ऐरो स्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक के लिए सिलेक्शन हो गया था। घर से दूर रहकर प्रियंका ने त्रिवेंद्रम केरला से बीटेक किया। लेकिन इसरो में काम करने का सपना रखने वाली प्रियंका ने इसके लिए कड़ी मेहनत की है।
प्रियंका ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2017 में ऐरो स्पेस से बीटेक पूरा करने के बाद पहली ही बार में परीक्षा पास कर इसरो ज्वाइन किया। इसके बाद वह चंद्रयान-2 मिशन का हिस्सा बनी और इस मिशन के साथ ही अन्य कई प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। इस मिशन में वे लॉन्चिंग से लेकर लैंडिंग टीम तक में शामिल हैं। प्रियंका बताती है कि मिशन को लेकर सभी ने कड़ी मेहनत की। वे खुद ऑफिस से घर आने के बाद 4 से 6 घण्टे पढ़ाई करती रही हैं। इसके अलावा सामान्य दिनों की अपेक्षा कई घण्टे ज्यादा ऑफिस में काम किया। वे अभी साइंसटिस्ट ‘सी’ पद पर कार्यरत हैं। प्रियंका ने बताया कि उनके पिता डॉ. राजेश कुमार चौधरी महात्मा गांधी अस्पताल में नियुक्त हैं, उन्होंने और मां नीतू चौधरी ने पढ़ाई के लिए काफी सपोर्ट किया।
प्रियंका पिछले कई सालों से घर से दूर है। इसरो में जॉब लगने के बाद से तो वह सिर्फ 3 बार ही घर आ पाई है। वहीं मिशन चंद्रयान के दौरान तो कई बार ऐसा भी हुआ कि अपने माता-पिता से फोन पर बात भी नहीं कर पाई। पहली बार में ही इसरो में जाने के बारे में प्रियंका बताती है कि इसके लिए रात-दिन एक कर उसने पढ़ाई की और जब इसरो में चयन हुआ तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। फिलहाल प्रियंका इसरो में चंद्रयान के अलावा भी कई प्रोजेक्ट्स में काम कर रही है।