बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा के अनुसार स्कन्द पुराण, बाल्मीकि रामायण आदि ग्रन्थों में गंगा अवतरण की कथा वर्णित है। जिस दिन पूर्वांग में दशमी एवं निम्नलिखित दस योग हों, उस दिन यह व्रत करना चाहिए। यदि दशमी दोनों दिन पूर्वांग में हो तो जिस दिन अधिक योग हों, वह दिन लेना चाहिए। दस योग में 1. ज्येष्ठ मास, 2. शुक्ल पक्ष, 3. दशमी तिथि, 4. बुधवार, 5. हस्त नक्षत्र, 6. व्यतीपात योग, 7. गरकरण, 8. आनन्द योग (बुधवार के दिन हस्त नक्षत्र होने से आनन्द योग बनता है), 9. कन्या राशि का चन्द्रमा, 10. वृष राशि का सूर्य। इन दस योगों में से दशमी और व्यतीपात योग मुख्य हैं। इस बार 24 मई दिन गुरुवार को यह व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष के अधिक मास में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में (शुभ फल देने वाला) है। गुरुवार को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में बनने वाला मातंग योग एवं प्रातः 5:26 बजे से सायं 06: 18 बजे तक बनने वाले सिद्ध योग में होने के कारण अति शुभ फलदायक रहेगा।
इस दिन चन्द्रमा कन्या राशि में विराजमान रहेंगे। यह दिन सम्वतसर का मुख माना गया है। इसलिए संकल्पपूर्वक गंगा जी में दस बार गोते लगाकर, गंगा स्नान करके दूध, बताशा, जल, रोली, नारियल, धूपदीप से पूजन करके दान देना चाहिए। इस दिन गंगा, शिव , ब्रह्मा, सूर्य , भागीरथी तथा हिमालय की प्रतिमा बनाकर पूजन करने से विशेष फल प्राप्त होने के साथ दस प्रकार के पापों (तीन कायिक, चार वाचिक, तीन मानसिक) का नाश होता है।
गंगा दशहरे को जो सामग्री उपयोग में ली जाती हैं, उनकी संख्या दस होनी चाहिए। पूजा में दस प्रकार के पुष्प, दशांग धूप, दस दीपक, दस प्रकार के नैवेद्य, दस ताम्बूल और दस फल होने चाहिए। परन्तु ब्राह्मणों को दान में दिये जाने वाले यव (जौ) तथा तिल 16-16 मुट्ठी होनी चाहिए। भगवती गंगा सर्वपाप हारिनी है। स्नान करते समय गोते भी दस बार लगाये जाने चाहिए।
गंगा दशहरा के दिन दान देने का विशिष्ट महत्व है। इस दिन आम खाने और आम दान करने का विशिष्ट महत्व है। इस दिन शिवलिंग का पूजन करने एवं रात्रि जागरण करने से अनन्त फल प्राप्त होता है।
ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै, गंगायै नमः
अथवा गंगा जी का निम्न मंत्र पढ़ना चाहिए।
गंगा जी का मंत्र
ऊँ गंगा देव्यै नम: