सोलापुर जिला विवाद
कर्नाटक के बॉर्डर पर है सोलापुर। सोलापुर जिले की सीमा को लेकर विवाद है। महाराष्ट्र चाहता है कि सोलापुर जिला उसका रहे और कर्नाटक अपना बनाने के लिए न्यायालय तक पहुंच गया है। सीमा विवाद सुलझाने को लेकर गठित महाजन सोलापुर आयोग ने सोलापुर को कर्नाटक में शामिल करने का सुझाव दिया था, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इस सुझाव नहीं माना। यह मामला अब उच्चतम न्यायालय में है। सोलापुर कर्नाटक में रहेगा या महाराष्ट्र में यह तो न्यायालय के फैसले बाद पता चलेगा लेकिन फिलहाल 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस इसे अपनी तरफ करने के तमाम प्रयासों में जुट गई है।
कांग्रेस के गढ़ में मोदी लहर
इमरजेंसी के काल में भी कांग्रेस ने सोलापुर सीट फतेह की थी। कांगे्रस का गढ़ रही इस सीट से सुशीलकुमार शिंदे तीन बार यहां से सांसद रहे, लेकिन 2014 की मोदी लहर उनकी जमी-जमाई जाजम को उड़ा ले गई। खुद शिंदे 2014 और 2019 में दो बार लगातार हार गए। तीसरी बार शिंदे ने खुद लडऩे की हिम्मत नहीं जुटाई और सोलापुर मध्य की विधायक उनकी बेटी प्रणीती को 2024 की लोकसभा के मैदान में उतारा है। प्रणीती के लिए यह मुकाबला आसान नहीं है, लेकिन आसानी यह हुई है कि वंचित बहुजन पार्टी अघाड़ी के प्रत्याशी ने नामांकन वापिस ले लिया। असद्दुदीन ओवीसी की पार्टी एआइएमआइएम ने समर्थन दे दिया। माकपा नेता नरसैय्या अडाम भी समर्थन में आए। इस शहर में बहुतायत में लिंगायत समाज के लोग भी रहते है, जो कन्नड़ और तेलगु भाषी है। भाजपा के साथ रहा यह समाज इस बार शुगर मील की चिमनी गिरने से उपजे विवाद को लेकर भाजपा से नाराज है। ऐसे में शिंदे अब दो बार की हार बाद बेटी को मैदान में उतारकर अपनी विरासत बचाने के लिए पूर जोर लगा रहे है।
मोदी की प्रत्याशी बदलने की ट्रिक.. हैट्रिक की किलाबंदी
2014 में प्रधानमंत्री मोदी की लहर ने कांग्रेस के इस गढ़ को ढहा दिया,लेकिन 2019 आते-आते भाजपा प्रत्याशी के कामकाज में कसर के प्रश्न उठते तो यहां से भाजपा ने 2019 में डा. जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य महास्वामी को चुनाव लड़ाया और वे जीत गए। 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ग्राउण्ड रिपोर्ट भांपते हुए भाजपा ने यहां से प्रत्याशी को फिर बदल दिया और मालशिराज सीट के विधायक राम सातपुते को उम्मीदवार बनाया। प्रत्याशी बदलने के फार्मूले ने नाराजगी को दूर किया है। सोलापुर लोकसभा क्षेत्र में सोलापुर सिटी नार्थ, सोलापुर सिटी सेंट्रल, अक्कलकोट, सोलापुर दक्षिण, पंढरपुर और मोहोल विधानसभा की सीट है। अभी केवल सोलापुर सेंट्रल में कांग्रेस की प्रणीति सिंदे विधायक है। ऐसे में भाजपा का यहा अब किला मजबूत कर लिया गया है। जिसको भेदना बड़ा चैलेंज है।
प्रकाश अम्बेडकर क्या करेंगे?
डा. भीमराव अंबेडकर के नाती प्रकाश अंबेडकर की यहां पकड़ है। दलित लॉबी उनसे जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि संसदीय सीट में दलित लॉबी जिसके साथ रहती है, जीत उधर होती है। शिंदे यहां दलित और मुस्लिम के गठजोड़ से ही जीते है और पिछली दो बार की सेंध ने उन्हें पीछे कर दिया है। वंचित बहुजन पार्टी अघाड़ी के प्रत्याशी के नामांकन वापिस लेने से प्रकाश नाराज है।
राहुल-मोदी दोनों की सभा हुई
25 अप्रेल को यहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सभा में कहा कि भाजपा दलितों के विरोध में है। संविधान को बदलने की कोशिश की जा रही है। लोकतंत्र खत्म करेंगे। जवाब में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 अप्रेल की सभा में कहा कि मंै पहले भी कह चुका हूं कि खुद बाबा साहब अंबेडकर आए तो भी संविधान नहीं बदलेगा, यह मोदी की गारंटी है। मोदी ने सोलापुर को वादा किया कि विकास करवाएंगे।
मुद्दा-पानी,पढ़ाई और नौकरी
अचरज हुआ कि सोलापुर बस स्टेण्ड के सामने खड़े टैक्सी चालक अनवर शेख से पूछा कि समस्या क्या है तो तपाक से बोला संतान की पढ़ाई। सवाल किया कि स्कूल-कॉलेज नहीं है क्या? जवाब था आइआइटी से लेकर उच्च स्तर तक की पढ़ाई के लिए एक लाख से ज्यादा बच्चे पुणे, बैंगलोर और हैदराबाद जाते है। यह सुविधा हमारे यहां पर क्यों नहीं है? पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं मिलती है। परेश गायड़े कहते है कि यहां रोजगार का साधन नहीं है। यहां 25 इंजीनियरिंग कॉलेज है, नौकरी के लिए अन्यत्र जाते है। मां-बाप यहां अकेले है, बेटे बाहर रहते है। यहां रोजगार का प्रबंध होना चाहिए।
जलसंकट चहूंओर
खूबसूरत और बड़े शहर सोलापुर से लेकर मोहोली, पंढरपुर और पूरे इलाके में जलसंकट है। यहां पानी का वादा पूरा नहीं होने की कसक हरेक को है। मोहोल में विजय माड़ी कहते है कि पानी की समस्या का कोई समाधान नहीं है। एक एनिकट बना है, उसकी दीवारों को ऊंचा किया जाए तो बारिश के छह माह बाद तक भी प्रबंध हो सकता है लेकिन हमारी बात सुने कौन?