
जुड़वा बच्चों में सुना है चेहरे, आदतें और स्वभाव कई बार एक सा होता है लेकिन बोर्ड के परीक्षा परिणाम में भी उनके अंक लगभग जुड़वा आए तो अचरज होता है। बालोतरा के दो भाईयों के अंकों में बस चार अंक का फर्क रहा है, जितना उनकेे जन्म में रहा। इधर, जोधपुर के धुंधाड़ा गांव के दो सगे भाई बहिन ने बराबर अंक लाए है। यह भी कमाल ही है। इस तरह के नतीजे अलग तरह की खुशी परिवार व गांव में बिखेर रहे है।
जुड़वा भाईयों के नंबर
बालोतरा के दो जुड़वा भाइयों श्रेयांस और संकेत दोनों जुड़वा भाई है। बारहवीं विज्ञान वर्ग में श्रेयांस को 93.40 और संकेत को 94.20 अंक आए है। दोनों के अंक में केवल चार का अंतर हैै। पिता शिवप्रसाद दवे कहते है कि दोनों जुड़वा है औैर उनके जन्म में लगभग इतना ही अंतर रहा है। पंचांगकर्ता शिवप्रसाद कहते हैै कि भारतीय ज्योतिष की यह बात यहां सार्थकता से लागू हो रही है कि एक ही नक्षत्र और समय में जन्म लेने वाले इन दोनों बालकों में बुद्धिचातुर्य भी उतना ही है। इसलिए दोनों के अंक लगभग बराबर है। शिवप्रसाद बताते है कि दोनों ही बच्चों की रुचि एक जैसी है। कई बार एक को आवाज देते है तो दूसरा जवाब दे देता है। खाने की पसंद, कपड़ा और पढऩे का समय तक बराबर रहता है। वे कहते है कि बीमार भी पड़ते है तो अकसर होता है कि दोनों एक साथ रहे है। जुड़वा बच्चों की यह समानता हम इनके बचपन से ही देख रहे है। मां नीरू कहती है कि इन दोनों की आदतों में अंतर बहुत ही महीन है। थोड़ा सा फर्क लगता है,बाकि दोनों एक जैसे है।
दोनों बहिनें 97
एक साथ भिंयाड़ गांव के नीम्बदान बारहठ की दोनों बेटियों ने भी यही कमाल किया हैै। बारहवीं बोर्ड में गुलाबकंवर के 97.80 अंक आए है दूसरी बेटी भवाना कंवर के 97 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैै। दोनों ही सगी बहिनों के इन नंबरों से उनके परिवार में अलग माहौल है। कला वर्ग में अध्ययनरत दोनों बहिनों की उम्र में सालभर का फर्क है।
भाई-बहिन बराबर अंक-437
धुंधाड़ा(जोधपुर) के संतोषकुमार दवे के पुत्र रूद्रप्रताप और बेटी कृतिका दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते है। उम्र में एक साल का फर्क है। इन दोनों ही भाई-बहिन के 437 अंक आए है। यानि एक भी अंक कम ज्यादा नहीं है। परिवार के लिए यह अनोखी खुशी है कि दोनों के अंकों में कोई अंतर नहीं है। बेटा-बेटी में कोई भेदभाव नहीं रखने वाले संतोषकुमार बताते है कि बेटे को संगीत का शौक है और बेटी विज्ञान विषय में इस्पायर अवार्ड प्राप्त कर चुकी है। वे दोनों की शिक्षा पर बराबर ध्यान देते है।
यमल का गृह एक
ज्योतिष में इनको यमल कहते है, यानि जुड़वा बच्चे। दोनों के जन्म के समय में जितना भी अंतर है,उस अंतर में षोडसवर्गीय कुंडलियां, दशा, अंतर्दशा में अगर भिन्नता नहीं है तो दोनों का स्वभाव, गुण,धर्म एक ही प्रकार का रहेगा। ऐसे बच्चे बहुत कम आते है।
- पंडित सुनिल जोशी, ज्योतिषाचार्य
Updated on:
25 May 2024 12:38 pm
Published on:
25 May 2024 12:37 pm
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