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बड़वानी

सिर पर आ गई डूब, अब निकाल रहे पुनर्वास में कामों का टेंडर

स्ट्रीट लाइट और पेयजल लाइन के काम का हुआ टेंडर, कब होगा काम, नबआं का आरोप जो काम 2018 में करना था, अब कर रहे शुरू, पुनर्वास स्थलों पर जाने को तैयार नहीं डूब प्रभावित, कर रहे विरोध

बड़वानीJul 22, 2019 / 11:37 am

मनीष अरोड़ा

Sardar Sarovar Dam

Sardar Sarovar Dam

बड़वानी. सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावितों के पुनर्वास कार्य में लगातार लापरवाही के मामले सामने आते जा रहे है। केंद्र और गुजरात सरकार द्वारा सभी के पुनर्वास होने का दावा भी झूठ साबित होता जा रहा है। हाल ही में एनवीडीए विभाग द्वारा पुनर्वास स्थलों की बिजली व्यवस्था और पेयजल पाइप लाइन को लेकर निकाले गए टेंडर से साबित हो रहा है कि मैदानी स्तर पर अभी तक डूब प्रभावितों का पुनर्वास नहीं हो पाया है। डूब प्रभावितों के लिए संघर्ष कर रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन का आरोप है कि जो काम 2017-18 में हो जाना चाहिए था, उसके लिए अब टेंडर प्रक्रिया हो रही है। जब डूब सिर पर आ गई है, तब काम कराना आरंभ करा रहे है, ऐसे में ये काम कब पूरे हो पाएंगे।
नबआं के राहुल यादव, मुकेश भगोरिया ने बताया कि एनवीडीए द्वारा जुलाई में 83 पुनर्वास स्थलों के स्ट्रीट लाइट की मरम्मत और निसरपुर सहित अन्य पुनर्वास स्थलों पर पेयजल पाइप लाइन के लिए टेंडर निकाले गए थे। ये काम 31 मार्च 2018 तक हो जाने थे। अब टेंडर निकाले जाने पर पूरी पुनर्वास प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे है। इन टेंडर के अनुसार एक महीने में पूरा काम किया जाएगा। अभी अभी टेंडर निकले जा रहे है तो इससे यह स्पष्ट होता है कि पुनर्वास स्थलों पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है इसलिए नए नए टेंडर निकले जा रहे है। हर साल इसी तरह टेंडर निकाल कर लाखों रुपए फिजुल खर्च किए जा रहे है।
आज भी अधुरे पड़े काम
नबआं के कैलाश यादव ने बताया कि पुनर्वास स्थलों की स्थिति आज भी पहले जैसी ही है। पुनर्वास स्थलों पर रहने वाले मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे है। आज भी कई काम अधुरे पड़े है। बोरलाय पुनर्वास स्थल पर आधे से ज्यादा क्षेत्र में बिजली नहीं लगी है। वहीं, कुकरा, एकलरा, कसरावद, जमदाखेडी, भवति, बोरलाय में पहले भी आधा ही काम हुआ है। जिन जगहों पर बिजली ही नहीं है, वहां कैसे मरम्मत का काम होगा। आज भी सर्वोच्च अदालत के फैसले 08 फरवरी 2017 के आदेश का पालन नही हुआ है। आज भी पुनर्वास स्थलों पर मूलभूत सुविधाऐं उपलब्ध नहीं कर पाए हैं।
मप्र सरकार की भी नहीं सुन रहे अधिकारी
नबआं नेत्री मेधा पाटकर ने बताया कि पहली बार मप्र सरकार ने डूब प्रभावितों के हक में बोला है। गुजरात सरकार और केंद्र सरकार से अपना हक सरकार ने मांगा है। नर्मदा के पानी को लेकर भी तकरार जारी है। डूब प्रभावितों का पूरा मुआवजा गुजरात सरकार को देना है और पुनर्वास की व्यवस्था भी गुजरात सरकार पर है। गुजरात सरकार की आनाकानी से पुनर्वास का काम भी प्रभावित हो रहा है। केंद्र के दबाव में नर्मदा कंट्रोल अथार्टी बांध भरने का दबाव बना रही है। बिना पुनर्वास और उचित मुआवजे के बांध प्रभावितों को डूब मंजूर नहीं है।
गांवों में विरोध शुरू, चल रहा बैठकों का दौर
केंद्र सरकार द्वारा सरदार सरोवर बांध भरने का विरोध डूब प्रभावित गांवों में आरंभ हो गया है। सरदार सरोवर परियोजना से 192 गांव व एक नगर धरमपुरी प्रभावित हो रहा है। डूब ग्रामों में विस्थापित अभी भी बसे हुए हैं और बिना पुनर्वास, मुआवजे के हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में सरकार और डूब प्रभावितों के बीच संघर्ष की स्थिति बनती नजर आ रही है। डूब प्रभावितों के हक में 31 जुलाई को महाआंदोलन की शुरुआत बड़वानी से हो रही है। 31 जुलाई को डूब प्रभावित संकल्प दिवस मनाएंगे। जिसमें देशभर के सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता भी शामिल होंगे।

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