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डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए निर्माता बीनू राजपूत को सज्जन लाल पुरोहित मेमोरियल पुरस्कार

दार्शनिक और बहुमुखी प्रतिभा वाली राजपूत लेखिका भी हैं, जिन्होंने फोटोग्राफी और फिल्म निर्माण पर कई किताबें लिखी हैं। साथ ही संस्थानों और समाचार पत्रों के लिए कई तरह के लेख और पत्रिकाएँ भी लिखी हैं। वह भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) में "फिट इंडिया चैंपियन" हैं। उनकी डॉक्यूमेंट्री फिल्में समाज को नई दिशा देती हैं। वे हर फिल्म रिसर्च के बाद ही बनाती हैं। उनकी इस योग्यता को देखते हुए कैमरा आर्ट इंस्टीट्यूट की ओर से अगस्त 2021 में उन्हें सज्जन लाल पुरोहित मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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जयपुर। बीनू राजपूत वृत्तचित्र फिल्म निर्माता और गहन शोधकर्ता हैं, जो पंद्रह वर्षों से क्षेत्र में सक्रिय हैं। वह विंग्स ऑफ विजन पत्रिका की संपादक भी हैं। अपनी फिल्मों व विभिन्न अन्य मंचों के माध्यम से वह भारतीय कला, संस्कृति, साहित्य और स्वास्थ्य को बढ़ावा देती रही हैं। उनकी वृत्तचित्र फिल्में उनके भावनात्मक प्रभाव और सामाजिक परिवर्तन को प्रेरित करने की उनकी क्षमता के लिए जानी जाती हैं।

दार्शनिक और बहुमुखी प्रतिभा वाली राजपूत लेखिका भी हैं, जिन्होंने फोटोग्राफी और फिल्म निर्माण पर कई किताबें लिखी हैं। साथ ही संस्थानों और समाचार पत्रों के लिए कई तरह के लेख और पत्रिकाएँ भी लिखी हैं। वह भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) में "फिट इंडिया चैंपियन" हैं।

उनकी डॉक्यूमेंट्री फिल्में समाज को नई दिशा देती हैं। वे हर फिल्म रिसर्च के बाद ही बनाती हैं। उनकी इस योग्यता को देखते हुए कैमरा आर्ट इंस्टीट्यूट की ओर से अगस्त 2021 में उन्हें सज्जन लाल पुरोहित मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

कथक गुरु शोवना नारायण पर बनाई बायोपिक

उनकी पहली डॉक्यूमेंट्री फिल्म "बॉर्न टू डांस" कथक गुरु शोवना नारायण की बायोपिक थी, जिसने कई पुरस्कार जीते। उनकी दूसरी फिल्म 'बनारस - काबा-ए-हिंदुस्तान' मिर्जा गालिब की बनारस यात्रा पर आधारित थी, जब गालिब दिल्ली से कोलकाता अपनी शाही पेंशन की बहाली के लिए अंग्रेजों से याचिका दायर करने जा रहे थे। इस फिल्म में दर्शाया गया कि कैसे गालिब बनारसी संस्कृति से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी फारसी मसनवी " चराग़-ए-दैर" में खुले तौर पर बनारस को हिंदुस्तान का काबा तक कह दिया।

उन्होंने बताया कि "मुझे सार्थक सिनेमा करना पसंद है और अच्छी फिल्में हम सबके दिलों को गहराई से छूती हैं। समाज में जागृति पैदा करती हैं और आसपास की चीज़ों को देखने के हमारे नजरिए को बदल देती हैं। वे हमें उस जगह ले जाती हैं, जहां वे घटनाएं घटी होती है और डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में हमारा दिमाग खोलती हैं।

45 से ज्यादा बनाई डॉक्यूमेंट्री फिल्में

राजपूत, IDPA (भारतीय डॉक्यूमेंट्री निर्माता संघ), IFTDA (भारतीय फिल्म और टेलीविजन निर्देशक संघ) और SWA (स्क्रीन राइटर एसोसिएशन) मुंबई की सदस्य भी हैं। अब तक उन्होंने 45 से भी ज्यादा डॉक्यूमेंट्री फिल्में बना चुकी हैं। उन्होंने बॉलीवुड के कई सुपरस्टार्स जैसे धर्मेंद्र, अक्षय कुमार, रंजीत सिंह, टॉम ऑल्टर, भाषा संबली और कई अन्य के साथ काम किया है।