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बस्सी

Electricity bill: औसत बिलिंग के नाम पर उपभोक्ताओं की जेब काट रही बिजली कंपनियां

Electricity bill: राजस्थान की तीनों कंपनियां 6 से 7 लाख उपभोक्ताओं को दे रही हैं औसत बिल। एक साल में दो ही बार दे सकते हैं औसत बिल फिर भी लगातार थमाए जा रहे हैं औसत बिल।

बस्सीDec 30, 2021 / 06:53 pm

अभिषेक सिंघल

अभिषेक सिंघल/जयपुर। राजस्थान की तीनों बिजली वितरण कंपनियां ( jaipur discom, Ajmer discom, jodhpur discom) औसत बिल के नाम पर उपभोक्ताओं की जेब काटने में जुटी हैं। पूर्व उपभोग के आधार पर बन रहे इन बिलों को बाद के उपभोग के आधार पर एडजस्ट करवाने की लम्बी प्रक्रिया के चलते लाखों उपभोक्ता औसत बिलों का झटका सह रहे हैं। घाटे, चोरी और छीजत से जूझ रही डिस्कॉम (jvvnl, avvnl,jodhpur vvnl) भी उपभोक्ताओं को एक साल में दो ही बिल का प्रावधान होने के बावजूद कई उपभोक्ताओं को लगातार औसत बिल थमाए जा रही हैं।
राज्य में छह से सात लाख बिजली उपभोक्ताओं को बिजली मीटर में गड़बड़ी, डिफेक्टिव या मकान, मीटर बंद बता कर औसत बिल भेजे जा रहे हैं। उपभोक्ता को एक बार बिल बनने के बाद इसे जमा (electricity bill payment) करवाना होता है और फिर यदि वह इससे असंतुष्ट है तो समझौता समिति का लम्बा रास्ता अख्तियार करना पड़ता है। शहरों में 24, ग्रामीण में 72 घंटे में खराब मीटर बदलने का प्रावधान है ताकि खराब मीटर के कारण औसत बिल नहीं देना पड़े। लेकिन निगम के कारिंदे इस प्रावधान का पालन नहीं करते और नतीजतन, बिल लम्बे समय तक खराब रहने को आधार बना औसत बिल दे दिया जाता है। मीटर खराब या जलने के अलावा अन्य मामलों में भी प्रोविजनल बिल जारी किए जा रहे हैं जिनमें लम्बे समय बंद घर, दुकानें शामिल हैं। मीटर परिसर के भीतर के होने के कारण भी रीडिंग नहीं ले पाते हैं। इन्हें भी औसत बिल भेजे जा रहे हैं।
बिजली उपभोक्ता के ये हैं अधिकार ( rights of the electricity consumer)

-ऊर्जा मंत्रालय के इलेक्ट्रिसिटी (राइट्स ऑफ कंज्यूमर्स) रूल्स और राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग के सप्लाई कोड में स्पष्ट अंकित है कि एक साल में 2 से ज्यादा प्रोविजनल बिल नहीं भेजे जा सकते हैं।
-नियमों के विपरीत प्रोविजनल बिल जारी करते हैं तो डिस्कॉम पर पेनल्टी लगाने का प्रावधान है।

-खराब मीटर नहीं बदलने और फिर भी लगातार प्रोविजनल बिल भेजने की स्थिति में डिस्कॉम को उपभोक्ता को बिल में 5 प्रतिशत छूट भी देनी होगी।
-ऐसी स्थिति में उपभोक्ता तब तक बकाया भुगतान करने से इनकार कर सकता है जब तक की उसे वास्तविक रीडिंग के अनुसार बिल जारी नहीं किया जाता।


यह है प्रावधान, जिनकी प्रभावी पालना में फेल
—प्रावधान : शहरी क्षेत्रों में 24 घंटो के भीतर और ग्रामीण इलाकों में 72 घंटे के भीतर खराब मीटर बदलने का प्रावधान है। मीटर की अनुपलब्धता आपूर्ति की बहाली में देरी का कारण नहीं होगी।
—हकीकत : ग्रामीण इलाकों में स्थिति बदतर है। कई दिनों तक मीटर नहीं बदले गए। कृषि विद्युत कनेक्शन के मीटर की संख्या ही लाखों में है। जयपुर शहर व ग्रामीण, भरतपुर शहर में खराब मीटर के हालात के कारण उर्जा सचिव के निर्देश पर अफसरों को चार्जशीट भी दी गई है।
फैक्ट फाइल..

—1.48 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं राज्य में

—14.69 लाख कृषि कनेक्शनधारी हैं इनमें

—8.84 लाख उपभोक्ताओं को किसान उर्जा मित्र योजना के तहत सबिसडी

—221 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई नवम्बर में इन्हें
—3 लाख कृषि कनेक्शनधारियों के बिल शून्य के आए

—बीपीएल श्रेणी के 16 लाख उपभोक्ता

—41 लाख छोटे घरेलू कनेक्शनधारी (पचास यूनिट से कम खपत वाले उपभोक्ता)


यूं हो रही बिजली खपत (electricity consumption)
-2400 करोड़ यूनिट बिजली प्रतिवर्ष खपत

-25 प्रतिशत घरेलू खर्च में

-35 प्रतिशत कृषि उपभोक्ताओं को

-30 प्रतिशत उद्योगों में


इनका कहना है

चार माह से उसके बिजली कनेक्शन का औसत बिल निकाला जा रहा है। इससे राज्य सरकार की सब्सिडी का लाभ भी नहीं मिल रहा है। सब्सिडी कटने के बाद भी राशि जमा करवानी पड़ रही है।
—राजेन्द्र कुमार जाट, किसान, चौमूं।


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