जानकारी के अनुसार बजट घोषणा में सैटेलाइट का दर्जा दिए जाने के बाद क्षेत्र के लोगों को आस बंधी थी कि अब अस्पताल के दिन फिरेंगे और यहां सभी आवश्यक सुविधाएं मिलेगी। जयपुर के अस्पतालों में दौड़-भाग नहीं करनी पड़ेगी। दो साल बीत जाने के बाद अभी तक अस्पताल में सीएचसी स्तर की सोनोग्राफी भी शुरू नहीं होने से मरीज ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
सोनोग्राफी-डिजिटल एक्सरे की सुविधा नहीं
अस्पताल में सोनोग्राफी व डिजिटल एक्सरे की मशीन नहीं होने से निजी जांच केन्द्रों पर ये जांचे महंगे दामों में करवानी पड़ती है। जानकारी के अनुसार चिकित्सक यहां प्रतिदिन पचास से अधिक सोनोग्राफी व दो दर्जन के करीब डिजिटल एक्सरे मरीजों को लिख रहे हैं। लोगों का कहना है कि सैटेलाइट अस्पताल के बावजूद ये सुविधाएं नहीं होना क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की कमजोरी को दर्शाता है।
महिला रोगियों को होना पड़ता है शर्मिन्दा अस्पताल में महिला चिकित्सक नहीं होने से महिला रोगियों को पुरुष चिकित्सकों से ही परामर्श लेना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अधिक शर्मिन्दगी होती है। वह पुरुष चिकित्सक को समस्या नहीं बता पाती। वहीं चिकित्सक के कमरे में एक साथ सभी मरीजों के आने से महिलाओं व गुप्त रोगियों को सबके सामने अपनी परेशानी बतानी पड़ती है। लोगों की मांग है कि अस्पताल में महिला चिकित्सक हो और चिकित्सक के कमरे में एक-एक मरीज अन्दर जाए तो मरीज व चिकित्सक दोनों को सहूलियत रहेगी।
अन्य सुविधाओं का अभाव
अस्पताल में बेड पर चद्दर नहीं होने से मरीजों व प्रसूताओं को गद्दे पर ही लेटना पड़ रहा है। ऐसे में उनमें संक्रमण का खतरा बना रहता है। वहीं रात के समय गार्ड नहीं होने से अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे रहती है। अस्पताल में एक वाटर कूलर खराब होने से ठण्डे पानी की भी समस्या है।
पार्किंग शुल्क यातायात में रोड़ा
यहां अस्पताल के मुख्य द्वार के बाहर अवैध पार्किंग से परेशानी हो रहती है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने सुविधा के लिए पार्किंग का स्थान चिन्हित कर रखा है, मगर लोग पार्किंग शुल्क बचाने के चक्कर में बीच सड़क पर वाहन खड़ा कर जाते हंै। इससे यातायात व्यवस्था बिगडऩे के साथ जाम के चलते एम्बुलेंस को आपातकालीन वार्ड तक पहुंचने में परेशानी होती है।
डॉ. मुनेश जैन, प्रभारी, राजकीय सैटेलाइट अस्पताल चाकसू