परिजन शहीद लोकेन्द्र सिंह के ६ माह के बेटे दक्ष प्रताप सिंह के भैरूजी महाराज के जड़ूले उतरवाने जाने की तैयारी कर रहे थे कि लोकेन्द्र सिंह के शहीद होने का समाचार आ गया। इससे खुशियां गम में बदल गई। परजनों ने बताया कि लोकेन्द्र सिंह एक माह की छुट्टियां बिताकर 20 दिन पूर्व ही ड्यूटी पर गया था और पांच अगस्त को आकर गृह प्रवेश करने की बात कही थी, लेकिन इससे पहले ही वे शहीद हो गए।
शहीद की पार्थिव देह घर पहुंचते ही परिजन बेसुध हो गए। शहीद की वीरांगना का रो-रो कर बुरा हाल हो रहा था। इसी बीच छह माह का दक्ष लोगों की ओर टकटकी लगाए देख रहा था। उसे क्या पता था कि अब उसके सिर से पिता का साया उठ चुका है।
नहीं जले चूल्हे, शिक्षण संस्थानो में छुट्टी
शहीद की शहादत पर बाजार बंद रहे। घरों में चूल्हे नहीं जले। शिक्षण संस्थानों की छुट्टी कर दी गई। चिकित्सा राज्य मंत्री बंशीधर बाज्या, सीकर कलक्टर नरेश कुमार ठकराल से लोगों ने गांव के अस्पताल व विद्यालय का नामकरण शहीद के नाम पर करने सहित अन्य परिलाभ दिलाने कीमांग की। कलक्टर ने शहीद परिवार को सभी परिलाभ दिलाने का आश्वासन दिया।