डूब रहे लोगों को किसी तरह से एक-एक कर बचाना शुरू किया। अपने अकेले के दम पर उसने 21 किसानों को बचा लिया। चार लोग डूब कर मर गए। प्रशासन पहुंचा तब तक हरिद्वार मांझी अकेले बचाव कार्य तकरीबन कर चुका था। प्रशासन के लोग डूब चुके लोगों को भी नहीं ढूंढ पाए। तब से पुलिस लगातार उनके शवों को खोजने मे जुटी है। इस काम में भी मांझी ही आगे रहा और अभी दो दिन पहले एक लापता किसान की लाश नदी से ढूंढकर निकाल दी। वह अभी भी तीन किसान लापता हैं और उनकी लाश करने में हरिद्वार मांझी जोर-शोर से जुटे हुए हैं।
हरिद्वार माझी की जिंदगी का आधा समय घाघरा की धारा में ही बीतता है। हरिद्वार मांझी बताते हैं कि जिस दिन लोगों से भरी नाव पलटी थी। वह घाघरा नदी में ही अपनी नाव से टहल रहे थे। अपनी सूझबूझ से 21 लोगों की जान बचाने वाले हरिद्वार मांझी बेहद गरीबी में जीवन यापन करते हैं। वह कहते हैं कि घाघरा मईया की कृपा से उन्हे हर रोज कुछ मछली जाल लगाने पर मिल ही जाती है। इसे बेचकर वे किसी तरह घर परिवार के लिये दो जून की रोटी का इंतेजाम कर पाते हैं। उन्होंने बताया कि घटना वाले दिन नाव पर उनके साथ दो भतीजे भी थे जो नाव चलाने में उनकी मदद करते हैं। हरिद्वार मांझी की इस दिलेरी की खूब सराहना हुई।
प्रशासन को अब आयी याद, करेगा सम्मान
इंसानियत और मानवता की मिसाल कायम करने वाले हरिद्वार मांझी की प्रशासन को अब याद आयी है। जिला प्रशासन उन्हें अब सम्मानित करेगा। घटना के दिन 25 में से 21 लोगों के बचाने के बावजूद प्रशासन ने उस समय ध्यान नहीं दिया। अब दूसरों के कानों से होते हुए बात प्रशासन तक पहुंची तो जिलाधिकारी ने अरविंद कुमार ने इसका संज्ञान लिया और हरिद्वार मांझी को उसकी बहादुरी के लिये सम्मानित करने की बात कही है। 26 दिसम्बर गणतंत्र दिवस को सम्मानित किया जाएगा। यही नहीं उनका नाम वीरता पुरस्कार के लिये केन्द्र सरकार की कमेटी को भेजा जाएगा।