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बस्ती

जान पर खेलकर 21 लोगों की जान बचाने वाले रियल हीरो हरिद्वार मांझी

बस्ती में 28 दिसंबर को नाव पलटने से दौरान डूब रहे लोगों को बचाया था नाविक हरिद्वार मांझी ने।

बस्तीJan 09, 2018 / 07:50 pm

रफतउद्दीन फरीद

Haridwar Manjhi Real Hero

हरिद्वार मांझी रियल हीरो

बस्ती. अदाकार और हीरो में फर्क होता है। हीरो वो होते हैं जो असल जिंदगी में कुछ ऐसा कर गुजरते हैं जिससे समाज का भला होता है और उसके बदले वो कुछ लेते भी नहीं। बस्ती जिले के हरिद्वार मांझी ऐसे ही हीरो हैं, जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर 21 लोगों की जान बचायी। न सिर्फ इतने लोगों को बचाया।
हरिद्वार ने यह सब न तो पैसों के लिये किया और न ही किसी नाम के लिये, किया तो बस इसलिये क्योंकि इंसानियत आज भी जिंदा है। उनके इस काम की सराहना तो खूब हुई पर प्रशासन उन्हें भूल गया। बावजूद इसके वह आज भी नदी में डूब कर मरे चार में से तील लोगों की लाशें पिछले 10 दिनों से ढूंढने में जुटे हैं। उनकी मानवीयता और उनका काम दूसरों के लिये मिसाल है और उन लोगों के लिये एक आइना भी जो नेक काम भी बिना स्वार्थ के नहीं करते।
मामला 28 दिसम्बर 2017 का है, जब बस्ती के दुबौलिया थानाक्षेत्र के पारा गांव के 25 ग्रामीण घाघरा नदी पार कर दूसरी तरफ खेती करने गए थे। उसी दौरान लौटते समय एक नाव हादसा हो गया। नाव डूब गई और उस पर सवार सभी लोग डूबने लगे। चीख-पुकार मच गयी। यह चित्कार नदी में दूर मछली पकड़ रहे हरिद्वार मांझी के कानों में पड़ी वह तुरंत वह नाव लेकर मौके पर पहुंचा और बिना सोचे-समझे नदी में कूद गया। जान बचाने के लिये पानी में जद्दोजेहद करते लोगों को एक-एक कर बचाने में जुट गया।

डूब रहे लोगों को किसी तरह से एक-एक कर बचाना शुरू किया। अपने अकेले के दम पर उसने 21 किसानों को बचा लिया। चार लोग डूब कर मर गए। प्रशासन पहुंचा तब तक हरिद्वार मांझी अकेले बचाव कार्य तकरीबन कर चुका था। प्रशासन के लोग डूब चुके लोगों को भी नहीं ढूंढ पाए। तब से पुलिस लगातार उनके शवों को खोजने मे जुटी है। इस काम में भी मांझी ही आगे रहा और अभी दो दिन पहले एक लापता किसान की लाश नदी से ढूंढकर निकाल दी। वह अभी भी तीन किसान लापता हैं और उनकी लाश करने में हरिद्वार मांझी जोर-शोर से जुटे हुए हैं।

हरिद्वार माझी की जिंदगी का आधा समय घाघरा की धारा में ही बीतता है। हरिद्वार मांझी बताते हैं कि जिस दिन लोगों से भरी नाव पलटी थी। वह घाघरा नदी में ही अपनी नाव से टहल रहे थे। अपनी सूझबूझ से 21 लोगों की जान बचाने वाले हरिद्वार मांझी बेहद गरीबी में जीवन यापन करते हैं। वह कहते हैं कि घाघरा मईया की कृपा से उन्हे हर रोज कुछ मछली जाल लगाने पर मिल ही जाती है। इसे बेचकर वे किसी तरह घर परिवार के लिये दो जून की रोटी का इंतेजाम कर पाते हैं। उन्होंने बताया कि घटना वाले दिन नाव पर उनके साथ दो भतीजे भी थे जो नाव चलाने में उनकी मदद करते हैं। हरिद्वार मांझी की इस दिलेरी की खूब सराहना हुई।

प्रशासन को अब आयी याद, करेगा सम्मान
इंसानियत और मानवता की मिसाल कायम करने वाले हरिद्वार मांझी की प्रशासन को अब याद आयी है। जिला प्रशासन उन्हें अब सम्मानित करेगा। घटना के दिन 25 में से 21 लोगों के बचाने के बावजूद प्रशासन ने उस समय ध्यान नहीं दिया। अब दूसरों के कानों से होते हुए बात प्रशासन तक पहुंची तो जिलाधिकारी ने अरविंद कुमार ने इसका संज्ञान लिया और हरिद्वार मांझी को उसकी बहादुरी के लिये सम्मानित करने की बात कही है। 26 दिसम्बर गणतंत्र दिवस को सम्मानित किया जाएगा। यही नहीं उनका नाम वीरता पुरस्कार के लिये केन्द्र सरकार की कमेटी को भेजा जाएगा।
by Satish Srivastava

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