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सांसों पर सिलिकोसिस का संकट, फिर भी वसूले हजारों

सिलिकोसिस का प्रमाण पत्र बनवाने एवं पेंशन शुरु करवान के नाम पर मांगे एक लाख तीस हजार रुपए, पचास हजार की राशि ले चुके थे आरोपित, अस्सी हजार की और कर रहे थे मांग, बाद में 45 हजार में तय हुआ सौदा, दस हजार रुपए रिश्वत लेते हुए दो को पकड़ा

ब्यावरOct 22, 2021 / 12:16 pm

Bhagwat

सांसों पर सिलिकोसिस का संकट, फिर भी वसूले हजारों

सांसों पर सिलिकोसिस का संकट, फिर भी वसूले हजारों

ब्यावर. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों की टीम ने देवाता सारोठ चौराहा पर स्थित ई-मित्र केन्द्र प्रगति सेवा केन्द्र पर ई-मित्र संचालक एवं एक दलाल को दस हजार की रिश्वत लेते हुए पकड़ा। आरोपित सिलिकोसिस प्रमाण पत्र बनवाने एवं सिलिकोसिस पेंशन शुरु करवाने के नाम पर एक लाख तीस हजार रुपए रिश्वत मांग रहे थे। परिवादी से पचास हजार रुपए ले चुके थे। एसीबी ने इस मांग का सत्यापन करवाने के बाद कार्रवाई को अंजाम दिया। परिवादी दिव्यांग होने के बावजूद उस पर लगातार रुपए देने का दबाव बना रहे थे। प्रमाण पत्र देने के नाम पर बार-बार चक्कर कटवा रहे थे। आरोपितों ने परिवादी को इस लेन-देन को लेकर किसी को कुछ भी नहीं बताने के लिए धमकाया भी। एसीबी आरोपितों को गुरुवार को न्यायालय में पेश करेगी। एसीबी ने इनके आवास की भी तलाशी लेकर जानकारी जुटा रही है। इनसे पहले और कितने लोगों से राशि ली गई। इस बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है।भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों के उपअधीक्षक पारसमल ने बताया कि भूरियाखेडा कला निवासी रणजीतसिंह ने बताया कि 14 अक्टूबर को एक शिकायत देकर बताया कि 25 दिसम्बर 2020 को देवाता सारोठ चौराहा पर संचालित प्रगति सेवा केन्द्र पर राजसमंद जिले के देव डूंगरी निवासी डूंगरसिंह से सिलिकोसिस से पीडि़त होने एवं जांच के लिए ऑनलाइन आवेदन करवाया। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होने के बाद उसे जांच के लिए लोकेश गुप्ता के पास ब्यावर भेजा गया। इस जांच में परिवादी सिलिकोसिस से ग्रस्त पाया गया। सिलिकोसिस पीडि़त पाए जाने पर सरकार की योजना के तहत उसके खाते में तीन लाख रुपए जमा हो गए। इसकी जानकारी लगने पर डूंगरसिंह ने उसे बुलाया। सिलिकोसिस का प्रमाण पत्र लेने के लिए एक लाख तीस हजार रुपए की मांग की। परिवादी ने इस पर पचास हजार रुपए डूंगरसिंह को दे दिए। इसके बावजूद भी उसने परिवादी रणजीतसिंह को सिलिकोसिस का प्रमाण निकालकर नहीं दिया। जिला क्षय निवारण केन्द्र के प्रभारी लोकेश गुप्ता से प्रमाण पत्र दिलवाने के लिए अस्सी हजार रुपए की और मांग की। एसीबी ने इसका सत्यापन करवाया। परिवादी व आरोपितों के बीच 45 हजार रुपए में सिलिकोसिस का प्रमाण पत्र देने एवं पेंशन स्वीकृत करवाने का सौदा तय हो गया। इस दौरान आरोपितों ने परिवादी से दस हजार रुपए ले लिए। मामले की सत्यापन होने के बाद एसीबी की टीम ने पूरा जाल बिछाया। परिवादी रणजीतसिंह को दस हजार रुपए देकर प्रमाण पत्र लेने के लिए बुधवार को प्रगति सेवा केन्द्र पर भेजा। जहां पर परिवादी रणजीतसिह से डूंगरसिंह एवं उसके सहयोगी ग्राम सुरडिया निवासी चुन्नीसिंह को दस हजार रुपए लेते हुए पकड लिया। एसीबी ने रिश्वत की राशि लेते हुए उन्हें पकड़कर हाथ धुलवाए। पानी का रंग गुलाबी हो गया। एसीबी की टीम ने आरोपितों के घर पर तलाशी लेकर जानकारी जुटाई।दिव्यांग फिर भी नहीं पसीजा मनई-मित्र संचालक व दलाल परिवादी के दिव्यांग होने के बावजूद सिलिकोसिस का प्रमाण पत्र लेने के लिए चक्कर कटवाते रहे। तीन लाख रुपए खाते में आते ही एक लाख तीस हजार रुपए की मांग कर डाली। इसके लिए पचास हजार रुपए की राशि लेने के बावजूद प्रमाण पत्र का प्रिंट निकालकर नहीं दिया। चिकित्सक के नाम से अस्सी हजार रुपए की और मांग करते रहे। एसीबी के सत्यापन में पता चला कि चिकित्सक तो कोई राशि मांग ही नहीं रहे है। यह चिकित्सक के नाम पर दबाव बनाकर राशि लेना चाह रहे है। जनवरी माह से कटवा रहे थे चक्करएसीबी की पड़ताल में सामने आया कि परिवादी रणजीतसिंह का सिलिकोसिस पीडि़त का प्रमाण पत्र तो जनवरी माह में ही बन गया था। यह प्रमाण पत्र जारी होने के साथ ही उसके खाते में तीन लाख की राशि योजना के तहत जमा हो गई थी। इसके बावजूद परिवादी के जानकारी के अभाव का फायदा उठाकर उसे करीब नौ माह से चक्कर कटवा रहे थे। इस दौरान उससे पचास हजार रुपए ले भी चुके थे। इसके बाद भी लगातार अस्सी हजार रुपए और देने का दबाव बना रहे थे। परिवादी को इसकी जानकारी किसी को नहीं देने के लिए धमका भी रहे थे।

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