साथ में भाजपा नेता कैलाश जोशी थे। मप्र में तत्कालीन सीएम गोविंद नारायण सिंह के मंत्रीमंडल में मंत्री रहे जीडी खंडेलवाल के निवास पर वाजपेयी ठहरे थे। खंडेलवाल के बेटे और कर सलाहकार राजीव खंडेलवाल बताते हैं कि जब अटलजी बैतूल की सड़कों पर निकले तो प्राकृतिक परिवेश के मुरीद हो गए थे।
जाहिर की थी आदिवासी बहुल गांव में जाने की इच्छा
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद नवंबर 1980 में भी अटल जी बैतूल पहुंचे थे। यहां आने से पूर्व ही उन्होंने किसी आदिवासी बहुल गांव में जाने की इच्छा जाहिर की थी, इस कारण से पाथाखेड़ा के फुटबाल मैदान में आदिवासी मजदूर सम्मेलन का आयोजन रखा गया था। स्व.अटल जी के जन्मदिन के पूर्व उनसे जुड़ी अमिट यादें ताजा हो गईं हैं। भाजपा के जिला उपाध्यक्ष कमलेश सिंह ने बताया था कि बैतूल जिले का घोड़ाडोंगरी अंचल भारतीय राजनीति की हर धारा से प्रभावित रहा है। सघन वनों से आच्छादित सतपुड़ा का यह आदिवासी इलाका आजादी के पहले और आजादी के बाद की अनेक छोटी बड़ी राजनीतिक घटनाओं का साक्षी रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय संघ चालक श्री गुरुजी की जेल यात्रा से लेकर भारतीय जनसंघ , जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के गठन तक राजनीति से जुड़ी कई स्मृतियां यहा की फिजाओं में रची बसी हैं। इन्हीं घटनाओं में से एक है अपने समय के सबसे लोकप्रिय नेता स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का बैतूल आगमन।
6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई
भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय नेता डा. बसन्त कुमार राय बताते हैं कि सन 1980 में अटल जी का आगमन पाथाखेड़ा की धरती पर हुआ था। जनता पार्टी के टूट जाने के बाद 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। इसी वर्ष पार्टी के लिए धन संग्रह अभियान को लेकर अटल जी प्रदेश के विभिन्ना जिलों का प्रवास किया। इसी क्रम में उनका बैतूल जिले में प्रवास तय हुआ। कार्यक्रम तय होने के पूर्व ही अटल जी ने किसी एक आदिवासी अंचल में जाने की अपनी अनिवार्य इच्छा जाहिर कर दी थी। दरअसल वे आदिवासियों के बीच जाना चाहते थे, उनसे मिलना चाहते थे।