उत्तर भारत में पाया जाता है पेंगोलिन
पेंगोलिन उत्तर भार में ज्यादातर पाया जाता है। शिमला, श्रीनगर, ओलमोरा, मंसूरी, कसौला, पहाड़ी वाले क्षेत्र में अधिकतर पाया जाता है। असाध्य बीमारी की दवाई के लिए इस पर तस्करों की नजर रहती है और तो और नेशनल स्तर पर पेंगोलिन की तस्करी भी होती है। बताया जाता है कि अंधविश्वास के कारण जादू टोना करने वाले लोग भी इसका इस्तेमाल करते हैं। बताया जा रहा है कि आमला से पहले पेंगोलिन धार जिले में पाया गया था। भारतीय पैंगोलिन की यह प्रजाति काफी कम देखने को मिलती है। इसकी तेज फुफ्कार से जहां लोग डर जाते हैं, वहीं अपने आप को सुरक्षित करने के लिए पैंगोलिन अपने शरीर को सिकोड़कर गेंद की आकृति का बना लेता है। इसका वजन 9 से 10 किलो तक होता है जबकि लंबाई करीब 59 सेमी होती है।