पूर्ववर्ती सरकार ने ट्रॉमा सेंटर व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को स्वीकृति देते हुए क्रमश: एक करोड़ 50 लाख तथा 5 करोड़ 50 लाख रुपए स्वीकृत कर भवन बनवाए गए। मजेदार बात यह है कि उक्त भवन बनकर तैयार हो गए और ट्रॉमा सेंटर का तो 23 जुलाई को पूरे ताम-झाम के साथ तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री भजनलाल जाटव की ओर से उद्घाटन भी कर दिया गया। लेकिन आज तक इसके लिए न तो स्टाफ की नियुक्ति हो पाई और न चिकित्सा संबंधी उपकरण ही उपलब्ध हो पाए। इसके मुख्य द्वार पर आज भी ताला लटका हुआ है । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. लक्ष्मण सिंह का कहना है कि सरकार के लिए लिखा हुआ है। वहीं से स्टाफ की नियुक्ति होगी तथा चिकित्सकीय उपकरण भेजे जाएंगे।
तकरीबन 3 माह पूर्व लोकार्पण हुए सामुदायिक भवन का आधे से ज्यादा भवन बिना स्टाफ व चिकित्सा के उपकरण के खाली पड़ा है। भवन में धीरे-धीरे गंदगी पैर पसारने लगी है। यही नहीं शल्य चिकित्सा यूनिट के वास वेशन भी पूरी तरह से पीक से लाल हुए पड़े हैं। नर्सिंग स्टाफ कक्ष में तमाम थैली बोतल धूल आदि पड़ी हुई है।
…………… सोनोग्राफी मशीन चाट रही धूल कामां. कस्बे के राजकीय अस्पताल में जगह जगह गदंगी के ढेर लगे होने से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पडा। साथ ही चिकित्सक अपने अपने चैम्बरों में मरीजो को देखने में व्यस्त हैं तथा राजकीय अस्पताल के एक कमरे में बंद सोनोग्राफी मशीन धूल चांट रही है। यहां पर सोनोग्राफी चिकित्सक भी नहीं है।
प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजपाल यादव ने बताया कि अस्पताल में परिसर में पडी गंदगी के ढेर को नगर पालिका का कचरा वाहन लेने के लिए आता है। लेकिन आज क्यों नहीं आया। बुधवार को इस कचरे को उठवा दिया जाएगा।