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भिलाई

कोरोना के आगे रावण की भी हार, दशहरा पर संशय की स्थिति, पुतला दहन के लिए समितियों को गाइड लाइन का इंतजार

Dussehra 2020: कोरोना संक्रमण ने सारे तीज त्योहारों पर तो रोक लगा दी पर इस बार अहंकारी रावण भी नहीं जल पाएगा। क्योंकि अब तक प्रशासन ने केवल दुर्गोत्सव में मूर्ति स्थापना को लेकर ही गाइडलाइन बनाई है।

भिलाईSep 28, 2020 / 11:13 am

Dakshi Sahu

कोरोना के आगे रावण की भी हार, दशहरा पर संशय की स्थिति, पुतला दहन के लिए समितियों को गाइड लाइन का इंतजार

कोरोना के आगे रावण की भी हार, दशहरा पर संशय की स्थिति, पुतला दहन के लिए समितियों को गाइड लाइन का इंतजार

भिलाई. कोरोना संक्रमण ने सारे तीज त्योहारों पर तो रोक लगा दी पर इस बार अहंकारी रावण भी नहीं जल पाएगा। क्योंकि अब तक प्रशासन ने केवल दुर्गोत्सव में मूर्ति स्थापना को लेकर ही गाइडलाइन बनाई है। जबकि दशहरा को लेकर कुछ भी निर्णय नहीं लिया गया है। इधर दुर्ग जिले के कुथरेल गांव में रावण बनाने वाले कलाकारों ने भी एक भी आर्डर नहीं लिए हैं। हालांकि समिति वाले रोज उन्हें फोन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की किसी भी गाइडलाइन के बिना पुतले तैयार कर वे अपना नुकसान नहीं करना चाहते। अब तक इस गांव के लोग रावण के पुतले बनाकर लाखों की कमाई कर लेते हैं,लेकिन इस बार कोरोना के आगे रावण भी हारता नजर आ रहा है। कलाकारों का कहना है कि अगर प्रशासन दशहरा को लेकर गाइडलाइन बनाएगी उसके बाद ही वे पुतले का आर्डर लेंगे।
हर दूसरा बच्चा जानता है रावण बनाना
साढ़े चार हजार की आबादी वाले गांव में हर दूसरे घर का बच्चा रावण का पुतला बनाना जानता है। इस गांव में रावण के पुतले बनाने की शुरुआत बिसौहाराम साहू ने की थी। तब उनके ही परिवार के लोमन सिंह साहू ने यह काम सीखा और आज इस परंपरा को स्व लोमन सिंह के बेटे डॉ जितेन्द्र साहू आगे बढ़ा रहे हैं। डॉ. जितेन्द्र बताते हैं कि गांव में सिर्फ रावण का पुतला बनाकर ही लगभग 25 लाख से ज्यादा का रेवेन्यु पहुंचता है।
कुथरेल के रावण है फेमस
डॉ. साहू के पास ही 12 से ज्यादा समितियों का आर्डर मिलता है। उनके बनाए रावण के पुतले भिलाई के अधिकांश दशहरा समितियों के मैदान में लगते हैं। इसके साथ ही रायपुर की समितियां भी उनके यहां से रावण का पुतला तैयार कराती थी। वे बताते हैं कि कुथरेल में रावण का पुतला बनाने वाले 50 से ज्यादा कलाकार है। वहीं अब गांव में बच्चों की एक पूरी फौज तैयार हो चुकी है जो 8 से 10 फीट तक के रावण के पुतले आसानी से बना लेते हैं। अंचल कुमार, कृष्णा साहू, राजू देशमुख, चरण जैसे कई युवा है जो अब परफेक्ट हो चुके हैं और आसपास के गांवों में जाकर दशहरा समिति के लिए पुतला तैयार करते हैं।
गांव में ही जलते हैं 35 से ज्यादा रावण
रावण के पुतले बनाने वाले इस गांव में दशहरा के अगले दिन सबसे ज्यादा पुतले भी जलते हैं। दशहरा पर गांव की हर गलियों में बच्चों की टोली एक रावण बनाकर तैयार रहती है और शाम 5 बजते ही जैसे रामलीला में राम की टोली वानर सेना साथ इन सभी पुतलों को जलाते हुए करीब 7 बजे मुख्य समारोह में पहुंचती है। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा।

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