पहले देते थे सिर्फ गर्मी में प्रशिक्षण
बीएसपी में पहले यह वोकेशनल ट्रेनिंग सिर्फ गर्मियों में दी जाती थी। इस वजह से इसका लाभ कम लोग ही ले पाते थे। यह देखते हुए संयंत्र प्रबंधन ने सालभर वोकेशनल ट्रेनिंग देने का फैसला लिया है।
कौशल को निखारता है प्रशिक्षण
प्रशिक्षण कौशल को निखारने का एक सशक्त माध्यम है। ट्रेनिंग व्यापारी, तकनीशियन या किसी भी क्षेत्र में एक कुशल पेशेवर के साथ साथ अनुभवी व्यक्ति के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। वोकेशनल ट्रेनिंग किसी व्यक्ति को उसके अपेक्षित कौशल के साथ लाभकारी रोजगार या स्व-रोजगार के लिए तैयार करता है। इस पर एचआरडी की मुख्य महाप्रबंधक निशा सोनी ने बताया कि कई बच्चों को स्टील इंडस्ट्री या ऐसे कई व्यावसायिक क्षेत्रों के बारे में जमीनी स्तर की जानकारी नहीं होती है या कम होती है। इसकी वजह से वह कई अवसरों का लाभ नहीं उठा पाते और अपने अंदर के कौशल को वर्तमान परिपेक्ष्य के हिसाब से ढाल नहीं पाते। वोकेशनल ट्रेनिंग ऐसे ही बच्चों को इंडस्ट्री एक्सप्लोर करने का मौका देता है। यह युवाओं के कौशल को निखार कर उन्हें नवाचारों की गतिशीलता में, हर संभावना की खोज करने के लिए प्रेरित करता है।
प्रशिक्षण का व्यावसायिक जीवन में लाभ
महाप्रबंधक, एचआरडी, अमूल्य प्रियदर्शी ने बताया कि वोकेशनल, प्रोजेक्ट ट्रेनिंग से छात्रों को उनके व्यावसायिक जीवन में भी काफी लाभ हुआ है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है कि वोकेशनल, प्रोजेक्ट ट्रेनिंग से लाभ प्राप्त कुछ छात्र वर्तमान में बीएसपी में ही कार्यरत हैं। उप प्रबंधक, एचआरडी, सुष्मिता पाटला ने कहा कि वोकेशनल ट्रेनिंग का अनुभव करियर में अहम रोल प्ले करता है। इसे अवसर के रूप में लें तो तकनीकी या व्यावसायिक क्षेत्र में मूल्यांकन करना, निर्णय लेना, सुरक्षित कार्य करना, संसाधनों का उचित उपयोग करने जैसी छोटी छोटी बारीकियां सीखते हुए, भविष्य के लिए अपने कौशल का विकास कर सकते हैं।
गेम चेंजर
कभी ना कभी आपके मन में भी ये सवाल जरुर आया होगा, यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे हमें किसी भी स्ट्रीम की आतंरिक और वास्तविक जानकारी तो होती ही है, इसके साथ ही विषय सम्बन्धित वोकेशनल ट्रेनर और विशेषज्ञों के साथ चर्चा करने का मौका भी प्राप्त होता है। वे अपने अनुभव से प्राप्त ज्ञान साझा कर, जमीनी स्तर की आधारभूत और विषय सम्बन्धित आवश्यक जानकारी देते हैं। वोकेशनल ट्रेनिंग ना केवल तकनीकी कौशल निखारता है, बल्कि एक मजबूत कार्य नीति और आत्मविश्वास को भी बढाता है। वोकेशनल ट्रेनिंग को एक गेम चेंजर की तरह देख सकते हैं।
कौन होगा पात्र
भिलाई इस्पात संयंत्र में वोकेशनल, प्रोजेक्ट ट्रेनिंग इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, प्रबंधन, फॉर्मेसी, फिजियोथेरेपी, अग्नि और सुरक्षा, सामाजिक विज्ञान, कानून, मीडिया व जनसम्पर्क, कंप्यूटर अनुप्रयोग और ट्रेनिंग के समय लागू अन्य कोई भी स्ट्रीम या पाठ्यक्रम के छात्र प्राप्त कर सकते हैं। इसमें देश भर के सभी संस्थानों से छात्र आवेदन कर सकते हैं। इसमें बीएसपी कर्मचारियों के बच्चों को प्राथमिकता दी जाती है।
यह है प्रक्रिया
इसके लिए संबंधित संस्थान के प्रमुख, डीन, एचओडी से सीधे या संबंधित छात्र, छात्राओं के माध्यम से ट्रेनिंग में प्रवेश संबंधी सभी आवश्यक दस्तावेज प्रशिक्षण शुरू होने की तारीख से एक महीने पहले बीएसपी के मानव संसाधन विकास विभाग के महाप्रबंधक को भेजी जाती है या मेल की जाती है। एचआरडीसी प्राप्त आवेदन की जांच करेगा और उपलब्ध सीटों की संख्या पर विचार करते हुए, ‘पहले आओ पहले पाओÓ के आधार पर छात्रों की अंतिम सूची देता है। इसके बाद एचआरडीसी, संबंधित संस्थान के प्रमुख या छात्र, छात्राओं को वोकेशनल, प्रोजेक्ट ट्रेनिंग के विवरण के साथ स्वीकृति पत्र भेजता है। फिर प्रशिक्षुओं को एचआरडी से प्राप्त पुष्टि पत्र, मेल, दो तस्वीरें और संस्थान के पहचान पत्र के साथ निर्धारित दिन पर प्रशिक्षण के लिए रिपोर्ट करना होता है।
1861 को दिया प्रशिक्षण
बीएसपी ने वित्त वर्ष 2023-24 में कुल 1861 प्रशिक्षुओं को वोकेशनल ट्रेनिंग दिया। 980 को प्रोजेक्ट्स पूरे कराए। प्रशिक्षुओं की सुरक्षा को सर्वोपरी रखते हुए, संयंत्र ने प्रशिक्षुओं की सुरक्षा मानदंडों के आधार पर, उनकी संख्या को सीमित करने का निर्णय लिया है।