भिलाई में हर प्रांत, भाषा-भाषी और धर्म व संप्रदाय के लोग रहते हैं। यहां जातिगत व अगड़ी-पिछड़ी की राजनीति कभी नहीं रही। 1993 से जनता बारी-बारी भाजपा और कांगे्रस को मौका देती रही है। इस बार यहां मुद्दा भाजपा का विकास बनाम कांग्रेस का परिवर्तन है।
मैं वादा नहीं करता, लेकिन भिलाई का मान बढ़ाने जब भी अवसर मिलता है कोई कसर भी नहीं छोड़ता- प्रेम प्रकाश पांडेय, भाजपा प्रत्याशी मंत्री के रूप में
इतने काम हुए हैं कि मैं गिना नहीं सकता। फिर भी कुछ बड़े मुद्दे हैं जिससे भिलाई का मान बढ़ा और मुझे भी संतुष्टि होती है। आइआइटी, अमृत मिशन के तहत 269 करोड़ की पेयजल योजना, इनडोर स्टेडियम, तारामंडल, टाउनशिप की चौड़ी सड़कें, एलईडी लाइट्स, सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूलें, खुर्सीपार में कॉलेज
एजेंडा: एकमात्र भिलाई की प्रतिष्ठा और जनता का हित। लेकिन मैं कोई वादा या दावा नहीं करता क्योंकि दावे करने वाले कई आए और चले गए। मुझे जनता के बीच रहना है। प्रतिद्वंद्वी के बारे में : भिलाई की पढ़ी- लिखी जनता 12 वीं पास को सिर्फ इसलिए चुनें कि वह 28 साल 8 माह का युवक है। उनमें ऐसा कौन सा हुनर व योग्यता है कि युवा उन्हें अपना आइकान माने।
जनता आपको क्यों चुने : क्योंकि मैंने काम किया है। अगर जनता को लगता है कि वो काम कर सकते हैं तो उन्हें चुनें और मुझ पर भरोसा है तो मुझे। मेरा तो साफ कहना है वर्क फॉर वोट, नो वर्क नो वोट।
डेंगू से 51 मौत के जिम्मेदार कौन : सिर्फ और सिर्फ नगर निगम और यानि उसका मुखिया महापौर। तीन साल के अपने कार्यकाल में सफाई का एक ठेका तक नहीं कर पाया। मैंने तो डेंगू के मुफ्त इलाज व जांच की व्यवस्था करवाई जबकि छग के अन्य शहरों ही नहीं ग्वालियर व लखनऊ में भी डेंगू फैला, लेकिन वहां ऐसी सुविधा पीडि़तों को नहीं मिली।
नेता नहीं साथी की तरह सर्वसुलभ रहंूगा, जनता की भावनाओं के अनुरूप शहर का विकास करूंगा- देवेंद्र यादव, कांग्रेस प्रत्याशी महापौर के रूप में
भि लाई को स्वच्छ बनाने स्वच्छता पखवाड़ा और जन जागरूकता अभियान चलाया जिसके फलस्वरूप २०१७ के स्वच्छता सर्वेक्षण में 10 लाख की आबादी वाले शहरों में पूरे देश में भिलाई को प्रथम स्थान मिला। शासन की योजनाओं का लाभ नागरिकों तक पहुंचाने काम किया।
अमृत मिशन के तहत २३२ करोड़ की पेयजल योजना फेस-2 पर काम जारी है। इसके बाद भिलाई में पेयजल की समस्या नहीं रहेगी। एजेंडा: भिलाई नगर में अलग-अलग स्तर की समस्याएं है। हुडको का एक बड़ा मामला लंबित है। टाउनशिप की अपनी दिक्कतें हैं। खुर्सीपार व छावनी की अपनी। मैं जनता की रायशुमारी से काम करूंगा। ताकि उनकी तकलीफें दूर हो सके।
प्रतिद्वंद्वी के बारे में : भिलाई की जनता उन्हें २८ साल से देख व परख रही है। अब जनता को नेता नहीं साथी की जरूरत है जो उनके हर सुख-दुख में साथ खड़ा हो।
जनता आपको क्यों चुने : महापौर के रूप में सहज उपलब्ध, जनता से निरंतर संपर्क व परस्पर संवाद स्थापित किए। आगे भी जनता और जनप्रतिनिधि के बीच दूरी नहीं रहेगी। डेंगू से 51 मौत के जिम्मेदार कौन: निश्चित रूप से डेंगू इस शहर के लिए बड़ी क्षति रही है, लेकिन इसके लिए सिर्फ नगर निगम जवाबदेह नहीं है। स्वास्थ्य विभाग, बीएसपी प्रबंधन, राज्य शासन सभी इसके लिए बराबर के जिम्मेदार हैं। राजधानी से भिलाई तक ३२ किमी का सफर तय करने में स्वास्थ्य मंत्री को ३२ दिन लग गए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य शासन कितना संवेदनशील था।