फिल्टर के बाद भी बदबू
फिल्टर होने के बाद भी पानी में बदबू आने की बात कही जा रही है। इस वजह से इस पानी का उपयोग लोग निस्तारी के लिए ही कर रहे हैं। लोग पीने के लिए आसपास के बोरिंग या पुराने पंप हाउस पर निर्भर हैं। वहीं कुछ लोगों ने बोरिंग खनन करवा लिया है।
एक्सपर्ट का लेंगे सहारा
नगर पालिक निगम अब राजधानी से एक्सपर्ट टीम को बुला रही है। वह टीम पानी से फिल्टर होने के बाद बदबू क्यों आ रहा है। यह जांच करेगी। इसके साथ-साथ फिल्टर के दौरान जितने प्रोसेस को अपनाना चाहिए, उसे अपनाया जा रहा है क्या। यह भी करीब से जानने की कोशिश करेगी। इसके बाद क्या सुधार करने की जरूरत है। उस दिशा में काम किया जाएगा।
क्लोरीन मशीन का चल रहा मरम्मत
क्लोरीन मशीन का एक तार टूट गया है। विकल्प के तौर पर दूसरी मशीन नहीं है। इस वजह से इसे बंद ही रखा गया है। जिसकी वजह से क्लोरीन का उपयोग नहीं किया जा रहा है। यही वजह है कि पानी में कभी-कभी कीड़े भी आ रहे हैं। क्लोरीन के सहारे कीड़ों को पानी से हटा दिया जाता है। इसी तरह से पर्याप्त मात्रा में चूना व ब्लीचिंग पाउडर भी फिल्टर हाउस में नहीं है। कर्मियों की कमी भी है।
नहीं पहुंच रहा 14 हजार घरों में पानी
प्रोजेक्ट तैयार करने के बाद उसे अमलीजामा पहनाया गया। खारून नदी में एनिटक तैयार किए। वहां से उरला के फिल्टर प्लांट तक पानी लाने राइसिंग पाइप लाइन बिछाई गई। यहां से पानी को शुद्ध करके लोगों को घरों तक पहुंचाना था। वार्डों तक पानी की आपूर्ति की गई। करीब 14 हजार से अधिक घरों तक शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए पाइप बिछाया गया। इसमें वार्ड-1, 3, 6, 17 समेत अन्य वार्डों में प्रेशर की कमी के कारण पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
पहले बिछा चुके हैं 187 किलोमीटर पाइप लाइन
जल आवर्धन योजना के तहत नगर पालिक निगम, भिलाई-चरोदा क्षेत्र में करीब 187 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई गई। इसके अलावा नई उच्चस्तरीय पानी टंकियों का भी निर्माण किया गया है। योजना को 2017 तक पूरा हो जाना था। प्रोजेक्ट में देरी होने से अतिरिक्त आवास बनकर तैयार हो गए। अब उनको भी नल कनेक्शन दिया जाना है।
27 एमएलडी क्षमता का ट्रीटमेंट प्लांट
नगर पालिक निगम, भिलाई-चरोदा के लिए खारुन नदी से पानी पहुंचाया जा रहा है। योजना है कि 40 वार्डों में रहने वाले करीब 1 लाख लोगों को फिल्टर वाटर पहुंचाया जा सके। उरला में 27 एमएलडी क्षमता का फिल्टर प्लांट तैयार किया गया।
13 उच्चस्तरीय पानी टंकी
निगम क्षेत्र में योजना के तहत 13 नए उच्चस्तरीय पानी टंकी का निर्माण किया गया है। पांच पुरानी पानी टंकी है। इसके सहारे सभी 40 वार्डों में रहने वालों तक पानी पहुंचाया जाना है। करीब 14,500 घरों में नल कनेक्शन दिया जा चुका है। इसके अलावा और 7 हजार घरों तक पानी का कनेक्शन पहुंचाया जाना है। रेलवे क्षेत्र में एक टंकी निगम के अधिकारी बनाना शुरू किए, बाद में रेलवे ने उस पर रोक लगा दी। इस तरह से लाखों रुपए टंकी के नाम पर डूब गया।
निगम के अफसरों ने तैयार किया था प्रोजेक्ट
नगर पालिक निगम, भिलाई-चरोदा क्षेत्र में रहने वालों के घरों तक शुद्ध पानी पहुंचे। इसको लेकर लंबे समय से प्रयास किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश में जिस वक्त सरकार थी, तब नगर पालिका के अधिकारियों ने प्रोजेक्ट तैयार कर शासन को भेजा था। जल आवर्धन योजना के नाम से खारुन नदी से पानी लाकर भिलाई-चरोदा के अलग-अलग वार्डों में आपूर्ति करने का नक्शा खींचा गया। प्रोजेक्ट में एनिकट, फिल्टर प्लांट, राइसिंग पाइप और पानी टंकी समेत घरों तक बिछने वाले पाइप लाइन शामिल था।
पीने योग्य नहीं है पानी
निर्मल कोसरे, महापौर, नगर पालिक निगम, भिलाई-चरोदा ने बताया कि जल आवर्धन योजना के तहत जो पानी आ रहा है, उसमें बदबू की शिकायत है। निगम ने लोगों को अभी इस पानी का उपयोग पीने के लिए करने नहीं कहा है। लोग निस्तारी के लिए उपयोग कर रहे हैं। फिल्टर प्लांट की खामियों को देखने राजधानी से एक्सपर्ट की टीम को बुलाया गया है।
बेहतर उपचार करने की जरूरत
चंद्र प्रकाश पाण्डेय, वरिष्ठ पार्षद, नगर पालिक निगम, भिलाई ने बताया कि खारून नहीं से आ रहे पानी का अगर बेहतर उपचार किया जाए, तो यह पानी पीने योग्य हो सकता है। निगम के अधिकारियों और महापौर, सभापति से भी मांग किया गया है कि एक्सपर्ट का सहारा लेकर पानी को शुद्ध कर लोगों के घरों तक पहुंचाया जाए। कर्मियों की कमी है और चूना, ब्लीचिंग की कमी है।