17,00,000 तक दवा पहुंचाने का टारगेट
मलेरिया विभाग के हाथ में इस साल फाइलेरिया की 17 लाख लोगों तक दवा पहुंचाने का टारगेट है। पिछले बार 16,00,000 लोगों तक दवा पहुंचाया जाना था। जिसमें से 14,00,000 तक दवा पहुंचाया गया। इस तरह से करीब 84 फीसदी से अधिक तक दवा पहुंची थी।
साल के शुरू में हुआ टॉस्क फेल
जिला में फाइलेरिया ट्रेस करने 3 जनवरी 2022 से स्वास्थ्य विभाग ने पहले स्कूल और बाद में कम्प्यूनिटी में फाइलेरिया को लेकर टॉस्क शुरू किए। ट्रेसिंग के दौरान दोनों में ही जिला में फाइलेरिया टॉस्क फेल हो गया है। इसके बाद फिर से एक बार दवा और बचाव कार्य शुरू किया जा रहा है। टॉस्क फेल होने के पीछे जागरूकता की कमी को अहम माना गया। कोरोना से बचाव के लिए लोग जिस तरह से टीका लगवा रहे हैं, उसी तरह से जिला को फाइलेरिया मुक्त करने के लिए सबसे अहम दवा का सेवन करना होता है।
65 फीसदी बच्चों की हो सकी जांच
जिला का स्वास्थ्य विभाग 3700 बच्चों के ब्लड की जांच करने अभियान शुरू किया। जिससे विभाग बच्चों में फाइलेरिया बीमारी के संक्रमण तो नहीं है। यह साफ हो सके। जांच का काम दस टीम कर रह है, जिसमें आयुष चिकित्सा अधिकारी, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट और एएनएम शामिल हैं। इससे साफ हो जाएगा कि बच्चों में ट्रासमिशन तो नहीं हो रहा है। क्यूलेक्स के मच्छरों ने काटा तो नहीं था। जिसका असर 5 साल के बाद नजर आता है। अगर कोई बच्चा संक्रमित मिलेगा तो उसका इलाज किया जाएगा। इससे जिला को फाइलेरिया मुक्त करने में मदद मिलती है।
अमेरिका की कीमती किट से की गई जांच
पहले फाइलेरिया के ट्रांसमिशन की जांच करने के लिए रात में जाना पड़ता था। बताया जाता है कि रात में शरीर में अगर है तो दिन की अपेक्षा अधिक एक्टिव होता है। इस वजह से रात का समय जांच के लिए चुना जाता था। अब अमेरिका से कीमती किट डब्ल्यूएचओ के माध्यम से मिला है। जिससे कोई भी समय बच्चों की जांच की जा सकती है। इसका परिणाम भी तुरंत सामने आ जाता है।
दवा नहीं खाते लोग
जिला में एमडीए बांटी जाती है, तब लोग लेकर उसे रख लेते हैं। अगर 65 फीसदी लोग भी दवा को खा लें तो इसका ट्रांसमिशन बंद हो जाएगा। लोगों को इस तरह के मामले में जागरूक रहना होगा। वर्ना इसका नुकसान आने वाली जनरेशन को उठाना पड़ेगा। जिला में फाइलेरिया के केस को कम करने के लिए सामूहिक दवा सेवन अभियान चलाया जाता रहा है। यह अभियान 2004 से शुरू हुआ है। अब तक करीब दस राउंड हो चुका है। बावजूद इसके ट्रांसमिशन हो रहा है, यह गंभीर विषय है।
यहां पनपते हैं फाइलेरिया के मच्छर
फाइलेरिया रोग मच्छरों से फैलता है, खासकर मादा क्योलेक्स फेंटीगन मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर सीवरेज व गंदगी से भरी नालियों में सबसे अधिक पनपते हैं। यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तब खुद मच्छर संक्रमित हो जाता है। मच्छर के पेट में माइक्रो फाइलेरिया परजीवी आ जाता है। इसके बाद जब वह किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तब फाइलेरिया के परजीवी रक्त (खून) के सहारे स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर संक्रमित कर देते हैं। जिसके बाद व्यक्ति में यह लक्षण एक साल से आठ साल बाद नजर आने लगते है। जिससे संक्रमित व्यक्ति के पैरों में सूजन या ग्रेवेटी वाले अंगों में सूजन नजर आने लगता है। पुरुषों के पैर, हाथ, अंडकोष व महिलाओं के पैर, हाथ व स्तनों में सूजन आ जाता है। इसके साथ रोगी को लंबे समय तक सर्दी व ठंड के साथ बुखार आता है।
हाथीपांव से बचाव के लिए यह उपाय है बेहतर –
– हर छह माह (एक बार मानसून के पूर्व जून में और दूसरा दिसंबर में) दवाइयां चिकित्सक के परामर्श से लें।
– अपने संक्रमित पैर को साबुन व साफ पानी से रोज साफ करें।
– पैर को धोने के बाद मुलायम कपड़े से पोछ लें।
– संक्रमित पैरों पे घाव होने पर बीटाडीन मलहम का उपयोग करें।
– पैरों को आरामदायक स्थिति में रखें।
– सोते समय पैरों के निचे तकिया लगाकर रखें।
– यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है इसलिए नियमित मच्छरदानी का उपयोग करें।
22 से शुरू होगा फाइलेरिया के खिलाफ दवा बांटने का अभियान
पी भोई साहू, अपर कलेक्टर, दुर्ग ने बताया कि फाइलेरिया के खिलाफ 22 अगस्त 2022 से दवा बांटने का अभियान शुरू होगा। इसमें नगरीय निकाय, आंगन बाड़ी के कर्मियों व अन्य का सहयोग लिया जाएगा।