माहौल भी खराब होता था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब तक सिर्फ वार्निंग दे दी जाती थी, यलो कार्ड मिलता था, लेकिन नियम बदलने के साथ ही रेड कार्ड देकर ग्राउंड (Ground) से बाहर हो जाने का आदेश दिया जाएगा। इसी तरह यदि माहौल खराब करने में प्लेयर के साथ कोच भी जिम्मेदार रहा तो कोच को भी बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। फुटबॉल के बदले हुए नियमों के बारे में जानकारी देने शनिवार को प्रदेश फुटबॉल संघ के हेड रेफरी आरडी साव भिलाई पहुंचे।
लॉ-5 – यदि मैच फस्र्ट हाफ में खत्म हो गया, दोनों ही टीम ड्रेसिंग रूम में चली गई। जबकि अंदर जाने से पहले के शूट में रेफरी को संशय हुआ तो दोनों टीमों को वापस बुलाकर के मैच वहीं से दोबारा शुरू होगा, पहले ड्रेसिंग रूम में जाने के बाद उसे ही अंतिम निर्णय समझ लिया जाता था।
लॉ-7 – पहले कप्तान टॉस जीतता था, उसको कौन सा साइट में अटैक चाहिए बताता था, अब नए कानून से वह साइट और गेम स्टार्ट भी कर सकता है। किक ऑफ ले सकता है। उसे साइट चयन करने व किक का ऑप्शन मिलेगा।
लॉ-8- पहले रेफरी को लगकर गोल में बॉल चला जाए तो उसे गोल माना जाता था। अब रेफरी या असिस्टेंट रेफरी को बॉल टच होकर गोल हुआ तो उसे कैंसल मान के खेल दोबारा वहीं से शुरू होगा।
लॉ-8- पहले रेफरी को लगकर गोल में बॉल चला जाए तो उसे गोल माना जाता था। अब रेफरी या असिस्टेंट रेफरी को बॉल टच होकर गोल हुआ तो उसे कैंसल मान के खेल दोबारा वहीं से शुरू होगा।
लॉ-13 – पैनाल्टी एरिया के बाहर डिफेंडर ने फाउल किया, उसके साथ फ्री किक मिला। इस स्थिति में पहले दोनों ही टीमों के प्लेयर वॉल बनाया करते थे। 10 गज की दूरी थी। अब अटैकर टीम का कोई भी प्लेयर फील्ड में नहीं घूसेगा, सिर्फ डिफेंडर रहेंगे।