scriptसरकार का दावा डेंगू मरीजों का मुफ्त उपचार, इधर आधी रात डेंगू पीडि़त को अस्पताल से लौटाया, युवती की मौत | Hospital not provide free treatment dengue patient in Bhilai | Patrika News
भिलाई

सरकार का दावा डेंगू मरीजों का मुफ्त उपचार, इधर आधी रात डेंगू पीडि़त को अस्पताल से लौटाया, युवती की मौत

मुफ्त इलाज तो दूर लोगों को अस्पताल की देहरी से ही लौटा दिया जा रहा है। कहीं बेड खाली नहीं होने का बहाना बनाया जा रहा तो कहीं किट खत्म हो जाने का। कहीं इलाज के लिए पैसे मांगे जा रहे हैं। मदद के लिए दर्जनभर हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं मगर आम जनता तक उसकी पहुंच नहीं।

भिलाईAug 22, 2018 / 12:11 pm

Dakshi Sahu

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सरकार का दावा डेंगू मरीजों का मुफ्त उपचार, इधर आधी रात डेंगू पीडि़त को अस्पताल से लौटाया, युवती की मौत

भिलाई. प्रशासन डेंगू से निपटने तरह-तरह के दावे कर रहा है। अस्पतालों में मुफ्त इलाज, डेंगू पीडि़तों की मदद के लिए टोल फ्री नंबर, अस्पताल पहुंचाने एंबुलेंस सुविधा और इन सब व्यवस्थाओं में कोई चूक न हो इसलिए कलक्टर, आयुक्त, एडीएम जैसे आला अफसर खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। मगर हकीकत कुछ और है।
मुफ्त इलाज तो दूर लोगों को अस्पताल की देहरी से ही लौटा दिया जा रहा है। कहीं बेड खाली नहीं होने का बहाना बनाया जा रहा तो कहीं किट खत्म हो जाने का। कहीं इलाज के लिए पैसे मांगे जा रहे हैं। मदद के लिए दर्जनभर हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं मगर आम जनता तक उसकी पहुंच नहीं।
भाई व बहन भी डेंगू पीडि़त
छावनी के वार्ड-२८ में रहने वाली सरस्वती यादव (१७ वर्ष) ने रायपुर के बालाजी हॉस्पिटल में मंगलवार को दोपहर १२ बजे दम तोड़ दिया। वह एसआर हॉस्पिटल में चार दिनों से भर्ती थी। सोमवार की शाम को ही यहां से रायपुर रेफर किए गए थे। मृतका के दो भाई व एक बहन भी डेंगू से पीडि़त हैं। मृतका की छोटी बहन ज्योति यादव (१५ साल) और छोटा भाई विकास यादव (१२ साल) एसआर हॉस्पिटल में दाखिल हैं।
बड़ा भाई राकेश यादव (२० साल) का जिला हॉस्पिटल दुर्ग में इलाज चल रहा था। मंगलवार को उसकी छुट्टी हुई, तब बहन की अंतिम यात्रा में शामिल हुआ। इधर घर में अकेली मां का रो-रोकर बुरा हाल था। घर के सभी सदस्य हॉस्पिटल में होने की वजह से, उसे संभालने वाला भी कोई नहीं था। पड़ोस में रहने वाली महिलाएं उन्हें ढांढस बंधा रही थी।
मृतका के घर के सामने पल रहा डेंगू का लार्वा
मृतका के घर के सामने निगम ने घटना के बाद चूना का छिड़काव करवा दिया है। वहीं सड़क के किनारे में जगह-जगह पानी एकत्र है, जिसमें डेंगू के लार्वा पल रहे हैं। पानी की निकासी की व्यवस्था यहां नहीं है। जिसकी वजह से भी गंदगी और बढ़ रही है।
नाली का काम जल्द होगा शुरू : पार्षद
छावनी की पार्षद तुलसी पटेल ने बताया कि वार्ड में पानी एकत्र न हो, इसके लिए नाली का निर्माण जल्द शुरू किया जाएगा। डेंगू से जिनकी जान चली गई है, उनके परिजनों को कम से कम सरकार की ओर से १० लाख रुपए मुआवजा दिया जाए।
मां ने बताया कि बेटी पायल (15 वर्ष) को १०१ डिग्री बुखार १५ दिन पहले था। उसे बीएम शाह हॉस्पिटल लेकर गए। जहां पर डॉक्टर ने उसे 3 घंटे रखा। इसके बाद कहा कि डेंगू का जांच यहां नहीं होगा, जांच करवा कर लाना। पायल के भाई ने एक निजी हॉस्पिटल में ले जाकर उसकी जांच करवाया। जिसमें डेंगू पॉजीटिव मिला।
बेड खाली नहीं है बोलकर डॉक्टरों ने लौटाया
चिकित्सक ने रिपोर्ट देखा और कहा कि हां डेंगू है। इसके बाद डॉक्टर ने कहा कि हॉस्पिटल में बेड नहीं है, इंजेक्शन लगवाने आ जाना। इसके बाद परिवार ने बच्ची को स्पर्श हॉस्पिटल लेकर चार दिन पहले पहुंचे। वहां बोले की घर में ही रखो, हर दिन इंजेक्शन लगवाने ले आना। यहां बेड खाली नहीं है। मां बच्ची को लेकर घर चली गई। अभी भी बेटी का बुखार उतरा नहीं है।
रुआबांधा में रात करीब १ बजे एक मां अपनी कांपती हुई बेटी भोजेश्वरी (9 साल) को साथ में लेकर चंदूलाल चंद्राकर हॉस्पिटल पहुंची। जहां रिसेप्शन में बताया गया कि बेड खाली नहीं है। दूसरे हॉस्पिटल में बच्ची का इलाज कराओ। बुखार से तप रही बच्ची को लेकर मां हॉस्पिटल से बाहर निकली, तो हॉस्पिटल का ही एक स्टॉफ बोला कि शंकरा मेडिकल कॉलेज लेकर चले जाओ।
किट खत्म हो गई, जांच करवाना है तो पैसा लगेगा
बच्ची को डेंगू होने की आशंका से भयभीत मां सुबह का इंतजार करने को तैयार नहीं थी, वह पति के साथ शंकरा मेडिकल कॉलेज में रात १.३० बजे बेटी को लेकर पहुंची। यहां मौजूद चिकित्सक से बार-बार कह रही थी, बेटी को डेंगू तो नहीं है, जांच कर दो।
मौजूद चिकित्सक ने कहा कि डेंगू जांच करने वाली किट दो दिन पहले तक थी, अब नहीं है। अब जांच करवाना है, तो पैसा लगेगा। आज ब्लड लेंगे तो दो दिन बाद रिपोर्ट मिलेगी। यहां जितने मरीज थे, जिला प्रशासन के कहने पर सभी को जिला हॉस्पिटल व दूसरे हॉस्पिटल में रेफर कर दिए हैं। चिकित्सक ने बच्ची के बुखार को देखते हुए एक इंजेक्शन दिया और वहां से रवाना कर दिया।
कार्रवाई : १३ निजी अस्पतालों को नोटिस
मुख्य चिकित्सा एव स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को १३ निजी अस्पताल संचालकों को नोटिस जारी किया है। उन्हें हिदायत दी है कि वे डेंगू के गंभीर मरीजों को भर्ती न करें। डेंगू के मरीजों की सूचना वे कंट्रोल रुम को दे। सीएमएचओ कार्यालय से जानकारी दी गई है कि विभाग को सूचना मिली थी कि कई अस्पताल संचालक मरीजों को भर्ती तो कर रहे हंै, लेकिन इलाज सही नहीं हो रहा है। इस वजह से डेंगू पीडि़त मरीजों को अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कलेक्टर उमेश अग्रवाल ने बताया कि लोगों को जागरूक होना पड़ेगा बीमारी कोई भी क्यों न हो वे तत्काल अस्पताल पहुचंकर उसका इलाज कराएं। क्योंकि डेंगू का असर उन पर ज्यादा होता है जिनकी रोग प्रतिरोध क्षमता कम है। अपने आसपास साफ-सफाई रखें डेंगू से बचाव का सही तरीका है।
स्वच्छता निरीक्षक निलंबित
निगमायुक्त ने डेंगू नियंत्रण में लापरवाही करने वाले स्वच्छता निरीक्षक पवन मिश्रा को निलंबित कर दिया है। सोमवार को किए गए कार्य की दैनिक समीक्षा के लिए उन्हें निगम सभागार में उपस्थित होने कहा गया था फिर बगैर सूचना के अनुपस्थित रहे।
पुलिस की ब्रांड एंबेसडर भी डेंगू की शिकार
महिला सुरक्षा अभियान से जुड़ी पुलिस की ब्रांड एंबेसडर स्मिता तांडी भी डेंगू का शिकार हो गर्इं हैं। डेंगू पॉजीटिव होने की पुष्टि के बाद डॉक्टरों ने एहतियात बरतने की सलाह दी है। कसारीडीह में 5 और डेंगू प्रभावित मिले हैं।
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