5 पांडवों ने 100 कौरवों की सेना पर जीत पाई
उन्होंने महाभारत (Mahabharata) में वर्णित अर्जुन का युद्ध भूमि में श्रीकृष्ण को अपना सारथी चुनने के सुन्दर वृतांत का आध्यात्मिक रहस्य स्पष्ट करते हुए कहा कि जिस तरह मात्र 5 पांडवों ने 100 कौरवों की सेना पर जीत पाई, क्योंकि उनके सारथी स्वयं श्रीकृष्ण थे। ठीक उसी भांति आप भी उन मु_ी भर लोगों में से हैं जो इस मुक्तिधाम में उपस्थित हुए हैं और परमात्मा का सत्य परिचय प्राप्त कर रहे हैं। जिस तरह ‘अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा था कि वे जानते हैं कि धर्म क्या है पर उस पर चलने की ताकत नहीं है, उसी तरह आज सभी मनुष्य आत्माओं की भी यही मन: स्थिति है। क्योंकि परमात्मा की सत्य पहचान व उनसे यथार्थ सम्बंध नहीं है अत: उन्हें यथार्थ रूप से पहचान उनके निर्देशों पर चलना वा अपने जीवन रूपी युद्ध भूमि पर विजय प्राप्त करने की कला ही राजयोग हमें सीखाता है। तत्पश्चाात मंजू दीदी ने कैसे सर्व धर्मों में एक निराकार परमात्मा की ही मान्यता है, यह बताते हुए उनका स्पष्ट परिचय दिया।
एक निराकार परमात्मा का नाम ही कर्तव्य वाचक है
एक गृहस्थ व्यक्ति का हास्यजनक उदाहरण देते हुए बताया कि ‘एक व्यक्ति ने कहा मेरे घर में शांति है पर मेरे मन में शांति नहीं है! किसी के पूछने पर की ऐसा कैसे हो सकता? तो व्यक्ति ने कहा की शांति मेरी धर्मपत्नी का नाम है जो मेरे घर में अशांति मचाती है। इसलिए मेरे घर में शांति है पर मेरे मन में शांति नहीं है।Ó इस तरह हंसी-खेल में बड़ी ही मूल्यवान बात बताई कि आज किसी भी व्यक्ति का नाम कर्तव्य-वाचक नहीं है पर केवल एक निराकार परमात्मा का नाम ही कर्तव्य-वाचक है। यह कहते हुए भारत में प्रसिद्ध 12 शिव ज्योतिर्लिंगों के 12 कर्तव्य वाचक नामों को स्पष्ट किया।
मैं परमात्मा का बच्चा हूं
अंत में 2 मिनट राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कराते व वरिष्ठ राजयोगिनी आशा बहन द्वारा ‘मैं परमात्मा का बच्चा हूंÓ यह अवगत कराते इस पर एक संक्षिप्त अनुभव साझा किया और सत्र को पूरा किया।