बीएसपी में रह जाएंगे ६ हजार कर्मचारी बीएसपी में १९८४ के दौरान करीब ६३ हजार नियमित कर्मचारी काम कर रहे थे। वर्तमान में यह संख्या घटकर १६,४०० तक पहुंच गई है। वहीं ठेका श्रमिकों की संख्या अब करीब २५ हजार के आसपास है। २०२२ तक बीएसपी का निजीकरण नहीं होता है, तब नियमित कर्मचारियों की संख्या ६ हजार के आसपास रह जाएगी। वहीं ठेका मजदूरों की संख्या बढ़कर ४० हजार के आसपास पहुंच जाएगी। जिस तरह रिटायर्ड हो रहे हैं उसके मुकाबले भर्ती बंद ही है।
लोको और क्रेन भी चला रहे अकुशल हाथ बीएसपी में लोको का संचालन ठेका श्रमिकों से करवाया जा रहा है। इसी तरह से क्रेन भी वे दौड़ा रहे हैं। संयंत्र में ब्लास्ट फर्नेस, यूनिवर्सल रेल मिल, कोक ओवन, आरएसएम, टीएण्डडी, बीआरएम में ठेका श्रमिक हर विभाग में काम कर रहे हैं। बीएसपी में नियमित कर्मियों की भर्ती की जानी चाहिए थी, लेकिन रिटायर्ड कर्मियों के स्थान पर २० फीसदी की भर्ती से ८० फीसदी जगह खाली हो जाता है। तब प्रबंधन के सामने ठेका श्रमिक ही आखिरी विकल्प बच रहा है। तब ८० फीसदी ठेका श्रमिक को काम पर लगा दिया जाता है।
आसान नहीं है लक्ष्य बीएसपी के सामने टारगेट आसान नहीं है। पहले क्षमता से अधिक उत्पादन कर शीर्ष में रहने वाला बीएसपी, वर्तमान में क्षमता के बराबर भी उत्पादन नहीं कर पा रहा है।
रिस्क वाले कार्य मजदूरों से बीएसपी में फर्नेस से लेकर मिल एरिया में ठेका श्रमिकों से हॉट मेटल के नाली की सफाई समेत कई जोखिम भरे काम करवाए जा रहे हैं। नए श्रमिक इन कार्यों को जानकारी के अभाव में सुरक्षित रहते हुए नहीं करते हैं, जिसके कारण कई बार उनको शरीर में हॉट मेटल छलक कर निशान छोड़ जाता है।