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भीलवाड़ा

भूख-प्यास व बीमारी से श्वान हो रहे हिंसक

stray dogs आवारा श्वानों (कुत्तों) के बढ़ते खतरे से बचना है तो हम ही सावधान रहना होगा ।इसका बड़ा का कारण सर्दी में भूख-प्यास के कारण श्वानों के व्यवहार में बदलाव आया है।

भीलवाड़ाDec 11, 2023 / 05:51 pm

Narendra Kumar Verma

भीलवाड़ा शहर में आवारा श्वान

भीलवाड़ा शहर में आवारा श्वान

 

भीलवाड़ा शहर में आवारा श्वानों (कुत्तों) के बढ़ते खतरे से बचना है तो हम ही सावधान रहना होगा। शहर में हाल ही श्वानों के हुए हमले की घटनाओं पर नजर दौड़ाए तो यह आंकड़ा एक दो की गिनती में नहीं वरन दर्जनों की संख्या में नजर आएगा।

श्वानों के हमलों से बच्चे व बड़े तो बच नहीं पा रहे है, वही शहर में घूमता गोवंश भी शिकार हो रहा। शनिवार शाम को श्वानों के झुंड ने एक मवेशी को दबोच कर मार डाला। इसका बड़ा का कारण सर्दी में भूख-प्यास के कारण श्वानों के व्यवहार में बदलाव आया है। कच्ची बस्ती से लेकर पॉश कॉलोनी तक में इनका खतरा बढ़ा है। ऐसे में श्वानों की देखभाल करके हमले से बचा जा सकता है।
एक साल में दो हजार का इलाज
एमजीएच व शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के आंकड़े बताते है कि गत एक साल में दो हजार से अधिक लोग श्वानों के काट खाने के बाद उपचार के लिए पहुंचे है। कई लोग निजी चिकित्सालय भी गए। आर के कॉलोनी कम्युनिटी हाॅल के पीछे श्वानों ने बछडे पर हमला करके उसे मार दिया। गो सेवक अशोक लालवानी ने बताया कि श्वानों के मवेशियों पर लगातार हमले बढ़ रहे है। इनको पकड़ने व बंधियाकरण के लिए नगर परिषद को लिखा था। लेकिन अभी तक कागजी कार्रवाई हुई है।

संगठन पहुंचाते है बाधा
नगर परिषद के स्वास्थ्य निरीक्षक संजय खोखर का कहना है कि शहर में आवारा श्वानों को पकड़ने व उनके बंधियाकरण के लिए परिषद ने पूर्व में अभियान चलाया था, लेकिन संगठनों के विरोध के बाद अभियान रोक दिया। अब जल्द ही अभियान चलाया जाएगा।

इन्हें भी प्यार की जरूरत
पशु पालन विभाग की संयुक्त निदेशक डॉ. अलका गुप्ता बताती है कि श्वान शांत प्रवृति के होते है, इन्हें भी प्यार की जरूरत है। इनको परेशान नहीं करना चाहिए, समय पर खाना-पानी नहीं मिलने से यह आक्रमक होते हैं। इनके देखभाल की जरूरत है। मौसम में बदलाव से इनमें बीमारियों का खतरा बढ़ता है। पालतु पशुओं के भी मौसम में बदलाव देखते हुए खाने पानी पर ध्यान रखना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना
पीपुल फॉर एनीमल के प्रांतीय संयोजक बाबूलाल जाजू ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों एवं एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) रूल्स-2001 की पालना नगर परिषद नहीं कर रही। आयुक्त को इसी साल 14 अक्टूबर व 8 दिसंबर को पत्र लिखकर श्वानों को पकड़ने व उनके बंधियाकरण की मांग कर चुके है। टीम को क्रूर तरीके के बजाए सहज तरीके से श्वानों को पकड़ना चाहिए। श्वानों की संख्या बढने से रेबीज, चर्म रोग व खुजली सहित अनेक बीमारियां हो रही है।

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