आरोप है कि पीडि़ता के साथ महावीर प्रसाद ने बलात्कार किया था। पीडि़ता ने इसकी रिपोर्ट मांडलगढ़ थाने में दी थी, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। पीडि़ता और परिजनों को चक्कर कटवाए। मामले को गंभीरता से नहीं लिया। इस पर पीडि़ता ने अदालत में परिवाद दिया। अदालत ने थाने से मामले में एफआइआर होने की रिपोर्ट मांगी तो जवाब मिला- इस मामले में कोई एफआइआर दर्ज नहीं हुई और पीडि़ता की रिपोर्ट पर अब कोई कार्रवाई अपेक्षित नहीं है।
मजिस्ट्रेट ने परिवाद में अंकित तथ्यों को आधार पर प्रकरण में परिवादी के साथ अपराध माना। साथ ही थानाप्रभारी खिलेरी को एफआइआर दर्ज नहीं करने का दोषी माना। गौरतलब है कि माण्डलगढ़ थानाप्रभारी भूराराम खिलेरी के खिलाफ यह तीसरा मामला है। सूत्रों के मुताबिक खिलेरी के दो मामलों में उच्च न्यायालय से स्टे लेने की भी जानकारी मिली है।
इधर, वीवीआइपी सुरक्षा के नाम पर नहीं आना एसपी को महंगा पड़ा जयपुर। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे के कारण अलवर पुलिस अधीक्षक के हाजिर नहीं होने पर हाईकोर्ट ने तल्खी दिखाई है। हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक से पूछा है कि वीवीआइपी सुरक्षा और कोर्ट में पेशी में से कानून में किसे प्राथमिकता है और यदि कानूनी प्रावधान नहीं है तो अलवर एसपी पर कार्रवाई की जाए। साथ ही, पूछा कि नरबलि के नाम पर दो बच्चों की हत्या के मामले की जांच क्यों न पुलिस की विशेष शाखा या सीबीआइ को सौंप दी जाए। न्यायाधीश महेन्द्र माहेश्वरी ने भीमसेन की याचिका पर यह आदेश देते हुए सुनवाई 3 जुलाई तक टाल दी। तथ्यों के अनुसार 20 मई 15 को याचिकाकर्ता के दो मासूम बच्चे खेलने निकले थे और गायब हो गए। 24 मई को दोनों का शव पहाड़ पर खंडहर में मिला। इस मामले में मुंडावर थाना पुलिस ने तीन जनों को गिरफ्तार किया, लेकिन पुलिस ने हत्या के पीछे तांत्रिक इकबाल का नाम बताया। याचिकाकर्ता का कहना है कि पुलिस ने यह नाम काल्पनिक रूप से जोड़ा है, क्योंकि उसकी न तो गिरफ्तारी की है और न ही इस दावे के पीछे कोई तर्क है। प्रार्थीपक्ष ने निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की थी।