scriptभीलवाड़ा में सौ करोड़ की चंबल परियोजना में लापरवाही का सच जानकर आप रह जाएंगे हैरान | Water crisis in bhilwara | Patrika News
भीलवाड़ा

भीलवाड़ा में सौ करोड़ की चंबल परियोजना में लापरवाही का सच जानकर आप रह जाएंगे हैरान

मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल चम्बल परियोजना को लेकर शहर में बड़ी लापरवाही हो रही है

भीलवाड़ाMay 23, 2018 / 02:18 pm

tej narayan

Water crisis in bhilwara

Water crisis in bhilwara

आकाश माथुर . भीलवाड़ा।

मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल चम्बल परियोजना को लेकर शहर में बड़ी लापरवाही हो रही है। अनदेखी के चलते रोज करीब 50 लाख लीटर पानी बर्बाद हो रहा। करीब 100 करोड़ रुपए खर्च कर शहर में करीब पांच साल बाद चम्बल का पानी आया। अब कुप्रबंधन से आधा शहर प्यासा है। जिन क्षेत्रों में पानी पहुंच रहा है वहां भी पाइपलाइन को पूरा नहीं बदला गया।
READ: आईएएस में राज्य में प्रथम आए व देश में दसवीं रैंक पर आए अभिषेक ने शेयर किए सफलता के गुर, कहा सफलता के लिए जीवन में लगातार प्रयास जरूरी

एेसे में जगह-जगह पानी बर्बाद हो रहा है। राजस्थान पत्रिका टीम ने शहर की करीब एक दर्जन कॉलोनियों का जायजा लिया।सामने आया कि हर दूसरी गली में लाइन लीक है। लोगों ने जलदाय विभाग को शिकायत कर दी लेकिन समाधान नहीं निकला। चौंकाने वाली बात है कि विभाग करीब 5 फीसदी ही पानी की छीजत मानता है, लेकिन इसके विपरीत 15 से 20 फीसदी पानी बर्बाद हो रहा है।
READ: नशे में गवाही देने अदालत पहुंचा सिपाही, अस्पताल ले गए तो वहां से हो गया फरार

बड़ा कारण, पुरानी लाइन
परियोजना के तहत करीब साढ़े चार सौ किमी नई लाइनों का जाल बिछाया गया। अधिकांश आउटर में लाइन डाली गई। गली-मोहल्ले अछूते रह गए। अब चम्बल का पानी प्रेशर से पहुंच रहा। विभाग की पुरानी लाइन पानी नहीं झेल पा रही। लाइन टूट रही।
भूमिगत लाइन टूटने के बाद पानी बहता रहता है। प्रेशर से पानी नहीं आने की शिकायत आती है। ठीक किया जाता तब तक काफी पानी बह जाता है। रोज आठ से दस शिकायत लीकेज की पहुंच रही। लाइन को ठीक करने में भी जलदाय विभाग और चम्बल परियोजना अधिकारी एक-दूसरे पर मरम्मत का पल्ला झाड़कर लोगों की शिकायत को गम्भीरता से नहीं लेते। पानी व्यथ बहने से जल का दुुरुपयोग तो हो ही रहा है। सड़क पर पानी बहने से सड़क क्षतिग्रस्त हो जाती है। बहते से पानी से गुजरने के कारण स्लिप होकर कई वाहनचालक हादसे का शिकार हो रहे हैं।

यह हैं लीकेज के कारण
– अधिकांश घरों में नलों पर टूटिया नहीं लगी है। मीटर भी गायब है।
– घरों के बाहर कुण्डिया खुदी हुई है। ओवरफ्लो होने क बाद पानी नाली में जाता रहता है।
– जलदाय विभाग के पास पर्याप्त स्टॉफ की कमी है। हालात यह कि तीन-तीन दिन तक लीकेज पर ध्यान नहीं देते।
– लोग मोटरों से पानी खींचने पर जल्दबाजी करते है। जितना चाहिए भर लेते और फिर बेकार होता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
राइजिंग लाइन में जीरो प्रतिशत पानी की क्षति होती है। पहले सप्लाई के दौरान 25 से 30 प्रतिशत छीजत हो रही थी। चम्बल का पानी आने के बाद यह छीजत 5 प्रतिशत पर आनी चाहिए थी। लेकिन वर्तमान हालात देखकर एेसा नहीं लग रहा।
आरके ओझा, पूर्व अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग
यह सही है कि रोजाना लीकेज की शिकातय मिल रही। अधिकांश लाइनों को बदला गया है। लोग पेयजल के प्रति जागरूक नहींं है। इसलिए भी पानी बर्बाद हो रहा है। पेयजल की बर्बादी को रोकने के लिए अभियान चलाने की जरूरत है।
डीके मित्तल, अधीक्षण अभियंता, चम्बल परियोजना
यह कहती है जनता
लाइन लीकेज होने के बाद जिम्मेदार विभाग ध्यान नहीं देते। व्यर्थ में पानी बहता रहता है। प्रेशर से पानी नही आने की शिकायत भी की। जिम्मेदारों को इसके प्रति गम्भीर होना होगा।
अंजली टहलियानी, शात्रीनगर
लीकेज को लेकर दोनों विभाग जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे है। इसका नुकसान जनता को उठाना पड़ रहा। एक तरफ पानी की बर्बादी हो रही दूसरी ओर जनता भीषण गर्मी में कई कॉलोनी में पेयजल को भटक रही है।
ललित सांखला, अधिवक्ता

Hindi News/ Bhilwara / भीलवाड़ा में सौ करोड़ की चंबल परियोजना में लापरवाही का सच जानकर आप रह जाएंगे हैरान

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो