परियोजना के तहत करीब साढ़े चार सौ किमी नई लाइनों का जाल बिछाया गया। अधिकांश आउटर में लाइन डाली गई। गली-मोहल्ले अछूते रह गए। अब चम्बल का पानी प्रेशर से पहुंच रहा। विभाग की पुरानी लाइन पानी नहीं झेल पा रही। लाइन टूट रही।
भूमिगत लाइन टूटने के बाद पानी बहता रहता है। प्रेशर से पानी नहीं आने की शिकायत आती है। ठीक किया जाता तब तक काफी पानी बह जाता है। रोज आठ से दस शिकायत लीकेज की पहुंच रही। लाइन को ठीक करने में भी जलदाय विभाग और चम्बल परियोजना अधिकारी एक-दूसरे पर मरम्मत का पल्ला झाड़कर लोगों की शिकायत को गम्भीरता से नहीं लेते। पानी व्यथ बहने से जल का दुुरुपयोग तो हो ही रहा है। सड़क पर पानी बहने से सड़क क्षतिग्रस्त हो जाती है। बहते से पानी से गुजरने के कारण स्लिप होकर कई वाहनचालक हादसे का शिकार हो रहे हैं।
यह हैं लीकेज के कारण
– अधिकांश घरों में नलों पर टूटिया नहीं लगी है। मीटर भी गायब है।
– घरों के बाहर कुण्डिया खुदी हुई है। ओवरफ्लो होने क बाद पानी नाली में जाता रहता है।
– जलदाय विभाग के पास पर्याप्त स्टॉफ की कमी है। हालात यह कि तीन-तीन दिन तक लीकेज पर ध्यान नहीं देते।
– लोग मोटरों से पानी खींचने पर जल्दबाजी करते है। जितना चाहिए भर लेते और फिर बेकार होता है।
राइजिंग लाइन में जीरो प्रतिशत पानी की क्षति होती है। पहले सप्लाई के दौरान 25 से 30 प्रतिशत छीजत हो रही थी। चम्बल का पानी आने के बाद यह छीजत 5 प्रतिशत पर आनी चाहिए थी। लेकिन वर्तमान हालात देखकर एेसा नहीं लग रहा।
आरके ओझा, पूर्व अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग
यह सही है कि रोजाना लीकेज की शिकातय मिल रही। अधिकांश लाइनों को बदला गया है। लोग पेयजल के प्रति जागरूक नहींं है। इसलिए भी पानी बर्बाद हो रहा है। पेयजल की बर्बादी को रोकने के लिए अभियान चलाने की जरूरत है।
डीके मित्तल, अधीक्षण अभियंता, चम्बल परियोजना
लाइन लीकेज होने के बाद जिम्मेदार विभाग ध्यान नहीं देते। व्यर्थ में पानी बहता रहता है। प्रेशर से पानी नही आने की शिकायत भी की। जिम्मेदारों को इसके प्रति गम्भीर होना होगा।
अंजली टहलियानी, शात्रीनगर
लीकेज को लेकर दोनों विभाग जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे है। इसका नुकसान जनता को उठाना पड़ रहा। एक तरफ पानी की बर्बादी हो रही दूसरी ओर जनता भीषण गर्मी में कई कॉलोनी में पेयजल को भटक रही है।
ललित सांखला, अधिवक्ता