भूमिगत पाइप लाइन और आकाशीय टंकी का निर्माण हुआ है। रीको ने सीईटीपी जेडएलडी प्लांट रखरखाव एवं संचालन के लिए एक फरवरी को एसपीवी को हस्तांतरण कर दिया है। अब एसपीवी ही सीईटीपी का संचालन कर रही है। जो इंडस्ट्री प्रदूषित पानी निकालती हैं उन सभी का कनेक्शन पाइपलाइन से हो चुका है। जेडएलडी और आरओ संचालन में है। आरओ का पानी कुछ इकाइयों में भेजना शुरू कर दिया है। 400 इकाइयों के आगे मीटर लगा दिए गए हैं। अभी नई लाइन से सीईटीपी में दो एमएलडी प्रदूषित पानी आ रहा है। सीईटीपी से शोधित करने के बाद आरओ में एक एमएलडी पानी ले रहे हैं, क्योंकि एक एमएलडी पानी ही अभी कंपनियों को उपयोग करने दे रहे हैं। पुरानी लाइन से सीईटीपी में नालों का आठ एमएलडी पानी आ रहा है। इसे शोधित करने के बाद खुशखेड़ा पंप किया जा रहा है। अगर सीईटीपी प्लांट की क्षमता का शत प्रतिशत उपयोग हो तब क्षेत्र में घूमने वाला छह एमएलडी पानी कम हो जाएगा, जो कि जलभराव रोकने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु होगा।
क्षमता छह एमएलडी कीनए सीईटीपी आरओ की क्षमता प्रतिदिन छह एमएलडी पानी को शोधित कर आरओ से दोबारा उपयोग करने की है। अभी तक सिर्फ एक एलएलडी ही फैक्ट्रियों को वापस दिया जा सका है। जबकि पुरानी लाइन से आठ एमएलडी पानी शोधित हो रहा है। इस तरह नए सीईटीपी की क्षमता का पूरा उपयोग करना होगा। फैक्ट्रियों को भी शोधित पानी को लेना होगा। तभी जाकर पानी का सदुपयोग होगा और बाहर नाली सडक़ों पर व्यर्थ फैलने से रुकेगा।
कभी बार समझायशसीईटीपी से शोधित हुए पानी को दोबारा उपयोग करने के लिए फैक्ट्री संचालकों से कई दौर की वार्ता हो चुकी है। रीको अधिकारी एवं एसपीवी मिलकर उन्हें शोधित पानी को दोबारा उपयोग के लिए समझायश कर रहे हैं लेकिन तीन महीने बाद भी अभी सिर्फ एक एमएलडी पानी का सदुपयोग हो रहा है।
सीईटीपी आरओ सफल रूप से काम कर रहे हैं। फैक्ट्री संचालको को आरओ से शोधित पानी को लेने के लिए समझा रहे हैं। धीरे-धीरे सभी कनेक्शन लेने वालों को पानी देने की कोशिश चल रही है।जीके शर्मा, यूनिट हेड, रीको