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भोपाल

अब गायों के भी बनेंगे MP में आधार कार्ड, जानिये क्या है मामला?

इसमें उनका नाम-पता, फोटो, दूध देने की क्षमता और स्वास्थ्य संबंधी सारा रिकॉर्ड मौजूद रहेगा।

भोपालNov 09, 2017 / 07:10 pm

दीपेश तिवारी

Aadhaar card for cows
भोपाल। मध्यप्रदेश के चार जिलों में पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद सरकार ने जल्दी ही सभी 51 जिलों में गाय-भैंसों के आधार बनाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर (ईनाफ) तैयार कराया गया है।
मध्यप्रदेश यानि MP में अब गायों का भी आधार कार्ड बनेगा, इसमें उनका नाम-पता, फोटो, दूध देने की क्षमता और स्वास्थ्य संबंधी सारा रिकॉर्ड मौजूद रहेगा। वहीं मवेशी की पहचान बताने वाले 12 अंकों के इस अनूठे डिजिटल आधार कार्ड को देश में कहीं भी एक क्लिक पर देखा जा सकेगा। प्रदेश के सभी 90 लाख दुधारू मवेशियों के आधार की यह स्मार्ट चिप उनके कान में चस्पा की जाएगी। केन्द्र सरकार के इस आधार अभियान को देश के अन्य राज्यों में भी चलाने की तैयारी की गई है।
वहीं पशुपालन विभाग के कर्मचारियों को मवेशियों का पहचान-पत्र बनाने के लिए टेबलेट्स दिए जाएंगे, जिसमें वह गाय-भैंस का डिजिटल ब्योरा दर्ज कर सकेंगे। टेबलेट्स खरीदने के लिए सरकार ने टेंडर आदि की कार्रवाई भी शुरू की है। मवेशियों के कान में लगाए जाने वाले टैग इस महीने के अंत तक बन कर आने की संभावना है।
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15 करोड़ का रहेगा बजट :
केन्द्र सरकार की पशु संजीवनी योजना के तहत यह अभियान पूरे देश में चलाया जाएगा। इस पर करीब 15 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसमें 40 फीसदी अंशदान राज्य का होगा। प्रदेश के पशुपालन विभाग द्वारा मवेशियों की पहचान और पंजीयन के लिए करीब साढ़े तीन हजार कर्मचारियों को शुरूआती ट्रेनिंग दिलाई गई है।
नवंबर अंत तक काम शुरू:
विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नवंबर अंत तक सभी जिलों में आधार बनाने का काम शुरू होने की संभावना है। मार्च 2018 तक इस काम को पूरा करने का लक्ष्य मिला है, लेकिन वहीं यह भी माना जा रहा है कि एक-दो माह का ज्यादा का समय भी लग सकता है। शाजापुर, धार, आगर मालवा व खरगोन में करीब एक हजार मवेशियों पर पायलट प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है।
अवैध परिवहन रूकेगा:
गाय-भैंस को चिप लगाने के साथ उनका एक कार्ड भी बनेगा, जो मवेशी के मालिक को दिया जाएगा। मवेशियों के आधार कार्ड से गौवंश के अवैध परिवहन पर अंकुश लग सकेगा। गुमे हुए मवेशियों को भी ढूंढा जा सकेगा। प्रदेश में 54 लाख गौवंश की संख्या बताई गई है। नई तकनीक के बाद शहरों की सड़कों और गांव-कस्बों में आवारा घूमने वाले पशुओं और उनके मालिकों की पहचान भी तुरंत हो सकेगी। परिवहन कर ले जाए जाने वाले मवेशियों का भौतिक सत्यापन भी संभव हो जाएगा।
भारत सरकार की गाय-भैंसों का ‘आधार” बनाने संबंधी योजना के लिए मध्यप्रदेश की तैयारी अंतिम चरण में है। अन्य राज्यों को भी यह योजना दी गई है, हमारी तैयारी पूरी हो चुकी है। मवेशी के कान में लगने वाले ‘टैग” इस महीने के अंत तक मिल जाएंगे। उसके बाद काम शुरू कर दिया जाएगा।
– अजीत केसरी, प्रमुख सचिव पशुपालन विभाग मध्यप्रदेश
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