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भोपाल

धारा 370: कश्मीर से आया फोन, बारामूला की स्टूडेंट्स ने 25 किमी दूर जाकर बताई परेशानी

BHOPAL NEWS- मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल कश्मीरी स्टूडेंट्स की पहली पसंद बना हुआ है, यही कारण है कि यहां 400-500 स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं..। हालांकि धारा 370 को लेकर वे चिंतित हैं और अपनों से बात करने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं कश्मीर में फंसे कई स्टूडेंट्स बरकतउल्ला विश्वविद्यालय की परीक्षा नहीं दे पाए।

भोपालSep 05, 2019 / 01:24 pm

Manish Gite

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भोपाल। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद कश्मीर घाटी में कई जगह इंटरनेट सेवाएं बंद हैं, कर्फ्यू जैसे हालात हैं। ऐसे में कई स्टूडेंट्स की पढ़ाई पर भी इसका असर पड़ रहा है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में करीब 400 से 500 कश्मीरी स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं। धारा 370 को लेकर वे चिंतित हैं और अपनों से बात करने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं कश्मीर में फंसे कई स्टूडेंट्स बरकतउल्ला विश्वविद्यालय की परीक्षा नहीं दे पाए।

जानिए क्या कहते हैं कश्मीरी स्टूडेंट्स…।

 

 

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भोपाल है कश्मीरी स्डूटेंड्स की पहली पसंद

कश्मीरी स्टूडेंट्स को राजधानी का मौसम और यहां का शांत माहौल काफी पसंद आता है। यही कारण है कि इनकी संख्या करीब 400 से 500 है। भोपाल में कश्मीरी छात्रों की तादाद भी बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि यह एजुकेशन का हब बनते जा रहा है। यहां आने वाले कश्मीरी स्टूडेन्ट्स मानते हैं कि भोपाल जैसा शांत माहौल ही उन्हें इस शहर की ओर खींचता है। कश्मीर में सुरक्षा बलों की मौजूदगी और आए दिन होने वाले उपद्रव की वजह से न तो पढ़ाई कर पाते हैं, न ही करियर के ज्यादा विकल्प मिल पाते हैं।

 

क्या कहते हैं स्टूडेंट्स
स्टूडेन्ट्स कहते हैं कि 5-6 साल पहले तक कश्मीर में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए जाते थे, लेकिन वहां व्यवस्थाएं नाकाफी हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश के भोपाल को हमने चुना। ज्यादातर कश्मीरी स्टूडेन्ट्स की पहली पसंद भोपाल की बरकतउल्लाह यूनिवर्सिटी बनी हुई है। यहां के होस्टल में भी बड़ी संख्या में छात्र और छात्राएं रहकर पढ़ाई करते हैं।

 

कश्मीर से दूर हैं, लेकिन चिंतित रहते हैं
कश्मीरी स्टूडेन्ट्स कहते हैं कि शुरुआत में घर से दूर होने का अहसास परेशान करता है, लेकिन धीरे-धीरे शहर का माहौल और यहां रहने वालों के स्वभाव से सब कुछ अच्छा लगने लगता है। भोपाल के लोगों से जो अपनापन मिलता है उससे सभी परेशानी दूर हो जाती है।

 

पहले कम हो गए स्टूडेंट्स

साल 2012 तक कश्मीर से यहां हर साल करीब 2 हजार स्टूडेन्ट्स पढ़ने आते थे। लेकिन घाटी में ही यूनिवर्सिटी में यूजी और पीजी कोर्सेस में सीटें बढ़ने से अब यहां उतने स्टूडेन्ट्स नहीं आते। हालांकि अभी भी हर साल भोपाल आने वाले कश्मीरी स्टूडेन्टस की संख्या 800 से 1000 के बीच है।


स्टूडेन्ट्स बताते हैं कि उन्हें कभी भी ये नहीं लगा कि वो किसी और जगह से यहां पढ़ने आए हैँ। वे मानते हैं कि उन्हें कभी भी घर से दूर होने का अहसास नहीं हुआ। साथी स्टूडेन्ट्स उन्हें परिवार का ही हिस्सा मानते हैं।

50-60 स्टूडेंट्स की छूट गई पीएचडी की परीक्षा

कश्मीर के शहर बारमूला में रहने वाली एक छात्रा शफकत खान ने पत्रिका को कॉल कर अपनी व्यथा बताई। शफकत ने बताया कि मैंने विश्वविद्यालय में जूलॉजी विषय में पीएचडी के लिए एंट्रेंस एग्जाम का ऑनलाइन आवेदन किया था। लेकिन मुझे एग्जाम की सूचना नहीं मिल पाई। अब जब यहां कुछ लैंडलाइन से कॉल करने की सुविधा शुरू हुई तब मुझे पता चला कि 21 अगस्त को एंट्रेंस एग्जाम हो गया। शफकत ने कहा कि हम किसी को दोषी नहीं कह रहे, लेकिन नेट सेवा और फोन बंद होने का खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है। विश्वविद्यालय ने 6 अगस्त को नोटिफिकेशन जारी किया, लेकिन यहां 5 अगस्त से मोबाइल इंटरनेट और फोन सेवाएं बंद हो गई थीं, ऐसे में मेरे जैसे कई स्टूडेंट्स को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। शफकत का कहना है कि मेरे ही साथ के करीब 6 स्टूडेंट्स हैं, जिन्होंने अलग-अलग विषयों में पीएचडी के एंट्रेस एग्जाम के लिए आवेदन किया था। इसके अलावा पूरे कश्मीर में 50 से 60 स्टूडेंट्स हैं, जिन्होंने आवेदन किया था।

 

 

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