बैंक ऑफिसर्स की चार यूनियनों ने 26 सितंबर से दो दिनी हड़ताल ( Bank Union Strike ) की घोषणा की है। अधिकारियों की यूनियन ने बैँकों के विलय के विरोध हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। इसके साथ ही 11वां वेतन समझौता लागू करने की मांग को लेकर भी सभी हड़ताल पर ( upcoming bank strike 2019 ) रहेंगे।
हड़ताल क्यों
बताया जा रहा है कि वर्तमान में जो नए बैंक कर्मी भर्ती हो रहे हैं उनका वेतन प्राइमरी शिक्षकों से भी दस हजार रुपए कम है। इसके साथ ही नए भर्ती हो रहे क्लक्र का वेतन राज्य और केंद्र सरकार के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से भी कम है। इन्हीं मुद्दों को लेकर बैंकों के अधिकारियों की चार ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है।
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बैंकों के अधिकारियों के बारे में बताया जाता है कि एक समय बैंकों के अधिकारियों का वेतन आईएएस अफसरों से अधिक होता था। लेकिन अब वेतन विसंगतियां बढ़ने से वेतन कम हो गया है। ऑल इंडिया बैंकर्स ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन से जुड़े अजय सिंह ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा कि 1977 तक बैंक के अफसरों को 760 रुपए और आईएएस अफसर को 700 रुपए वेतन मिलता था। उस वक्त बैंक की नौकरी में वेतन के साथ प्रतिष्ठा भी ज्यादा मिलती थी। वेतन निर्धारण के लिए बनाई गई कमेटियों के कारण मौजूदा वक्त में बैंक कर्मियों की सैलरी कम है। नवंबर 2017 में लागू होने वाला 11वां वेतन समझौता अब तक लागू नहीं हो पाया है। इससे असंतोष बढ़ गया है।
पांच दिन ही लगना चाहिए बैंक
बैंक यूनियन के दुर्गेश राय कहते हैं कि बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों की मांग है कि बैंकों में पांच दिनों का सप्ताह होना चाहिए। शनिवार और रविवार को छुट्टी होना चाहिए। रिजर्व बैंक आफ इंडिया में भी पांच दिन ही काम होता है। बैंकों में कर्मचारियों और अधिकारियों की कमी के कारण हमें अवकाश नहीं मिल पाता है। सालभर अवकाश नहीं लने से छुट्टियां खत्म हो जाती हैं। बैंकों में जहां ग्राहकों से संबंधित कार्य हो रहे हैं, वहीं यह नियम लागू किया जाना चाहिए।
दो दिन हड़ताल छुट्टी 5 दिन
बैंक यूनियनों के मुताबिक वे 26 और 27 सितंबर को हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान दो दिन तो बैंकों में काम नहीं होगा, लेकिन 28 को शनिवार और 29 को रविवार के कारण बैंकों में पहले ही छुट्टी रहेगी। इस कारण चार दिनों तक बैंकों में कोई काम नहीं किया जाएगा। बैंक यूनियनों ने 26 और 27 सितंबर को हड़ताल घोषित की है। इस हड़ताल की वजह से रेलवे सहित तमाम केन्द्रीय कर्मचारियों में खुशी का माहौल है क्योंकि उन्हें पांच दिन पहले ही तनख्वाह मिल जाएगी। इसके लिए केन्द्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। जबकि 30 सितंबर को वित्तीय लेखा-जोखा का विभागीय काम किया जाता है, इस दिन बैंकों में सामान्य कामकाज नहीं होता है। ऐसे में लोगों को पांच दिनों तक बैंकों के काम करवाने में मुश्किल हो सकती है।
हड़ताल से पहले लिया यह निर्णय
बैंक अधिकारियों की यूनियनों ने हड़ताल पर जाने से पहले इस बात का भी निर्णय लिया है कि इन पांच दिनों में लोगों की परेशानी और लाखों कर्मचारियों को वेतन मिलने में मुश्किलों का सामना न करना पड़े, इसलिए सभी बैंक हड़ताल के पहले ही वेतन बांट देंगे। इसलिए बैंक का कामकाज ठप होने की स्थिति में कर्मचारियों को पांच दिन पहले ही वेतन दे दिया जाएगा। गौरतलब है कि केन्द्रीय कर्मचारियों को सितंबर में 30 तारीख को वेतन मिलता है। लेकिन इस बार वित्त मंत्रालय ने 5 दिन पहले सभी केन्द्रीय कर्मचारियों का वेतन बैंक खातों में जारी करने के आदेश दे दिए गए हैं।
रेलवे ने भी जारी किया आदेश
इधर, मध्यप्रदेश के पश्चिम मध्य रेल मंडल ने भी सभी कर्मचारियों को बैंक हड़ताल से पहले 25 सितंबर तक वेतन देने के आदेश दिए हैं। इसके बाद वाणिज्य विभागों को भी कहा गया है कि वे भी जल्द से जल्द वेतन देने की तैयारी कर लें, जिससे हड़ताल से पहले वेतन खाते में जमा किया जा सके। रेलवे के इस फैसले के बाद सभी कर्मचारियों में खुशी का माहौल है, क्योंकि दशहरे से पहले नवरात्र में वेतन जारी हो रहा है।
हमने उठाई थी मांग
वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के प्रवक्ता सतीश कुमार कहते हैं कि बैंक की हड़ताल और अवकाश के कारण वेतन में देरी हो सकती है, इस कारण केन्द्रीय मंत्रालय ने रेलवे को भी जल्द वेतन देने के आदेश दिए हैं। वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ ने यह मांग बोर्ड स्तर पर उठाई थी कि जिसके बाद यह निर्णय हो पाया है।
ग्वालियर में भी नहीं होगा काम
ग्वालियर के 18 सरकारी बैंकों के स्केल-1 (सहायक प्रबंधक) से लेकर स्केल-4 (मुख्य प्रबंधक) स्तर तक के लगभग 600 अधिकारी शामिल होंगे। बैंकों का 800 लोगों का क्लेरिकल स्टाफ हड़ताल पर नहीं है। लेकिन, कैश काउंटर, चेक, ड्राफ्ट और आरटीजीएस-नेफ्ट के जरिए होने वाले ट्रांजेक्शन नहीं हो पाएंगे।